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बिहार में जाति गणना के आंकड़े जल्द जारी होंगे, नीतीश सरकार कभी भी कर सकती है घोषणा

पटना: बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट जल्द जारी की जाएगी। नीतीश सरकार इस बारे में कभी भी घोषणा कर सकती है। जातिगत सर्वे में सभी जिलों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर जातियों की शिक्षा एवं आमदनी का औसत सार्वजनिक होगा। जातीय गणना के आंकड़ों को समेकित करते हुए राज्य में नागरिकों के आयु एवं लैगिंक अनुपात,  जिलों एवं राज्य से बाहर निवास करने वाले लोगों की संख्या, जोत भूमि की उपलब्धता,  भूमिहीन, कुशल एवं अकुशल श्रमिक सहित विभिन्न बिंदुओं पर औसत निकाला जाएगा। इस औसत को पुन: विखंडित कर उसकी जिलावार विशेष रिपोर्ट तैयार किया जाएगा। कुल 26 बिंदुओं पर राज्य में लोगों की स्थिति का आकलन किया जाएगा।

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इस दिशा में लगातार सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी व बेल्ट्रॉन के तकनीकी विशेषज्ञ काम कर रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार जातीय गणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कोई भी व्यक्तिगत आकलन या रिपोर्ट तैयार नहीं की जा रही है, और न ही ये जानकारी सार्वजनिक होगी। राज्य सरकार द्वारा पहले ही इस संबंध में सक्षम न्यायालय में शपथ पत्र दाखिल किया जा चुका है।

2011 की जनगणना के आंकड़ों से हो रहा तुलनात्मक अध्ययन 
जिलावार प्राप्त आंकड़ों का वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों से तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है। इस तुलनात्मक अध्ययन के बाद ही गणना में प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण अंतिम रूप से होगा। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी सभी जिलों से प्राप्त जातीय गणना के आंकड़ों पर लगातार मंथन कर रहे है। इस मंथन के माध्यम से विषयवार बिहार की वस्तुस्थिति का आकलन भी किया जा रहा है।  वर्ष 2011 की जनगणना से मिले आंकड़ों को जातीय गणना के मूल्यांकन का आधार बनाया गया है। इसके आधार पर ही बिहार में पिछले 12 वर्षों में हुए परिवर्तन का आकलन किया जा सकेगा।

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किसी भी दिन नीतीश सरकार कर सकती है घोषणा 
बिहार में दो चरणों में कराए गए जाति आधारित गणना से जुड़ी रिपोर्ट को नीतीश सरकार द्वारा जारी किए जाने की घोषणा कभी भी हो सकती है। सभी आंकड़ों को बेल्ट्रॉन द्वारा विकसित किए गए एप पर अपलोड किया जा चुका है। जातीय गणना के दौरान इसमें लोगों ने बढ़कर भाग लिया है और किसी भी इलाके में किसी प्रकार का विरोध नहीं किया गया है।

बाद में सामाजिक व आर्थिक विशेषज्ञों से ली जाएगी राय 
सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार जातीय गणना की रिपोर्ट जारी किए जाने के बाद में सामाजिक एवं आर्थिक विशेषज्ञों से उस पर राय ली जाएगी। मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के आधार पर राज्य के लोगों के जीवन-स्तर में हुए बदलाव एवं कमी का भी आकलन विशेषज्ञों द्वारा इससे किया जा सकेगा।

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