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5 मुख्यमंत्री.. 15 दल.. लेकिन नरेंद्र मोदी को घेरना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती: सीएम नीतीश कुमार

पटना : नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से मुकाबले के लिए विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं. जेपी की धरती को बैटलग्राउंड बनाया गया है. 23 जून को तमाम विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगना है. लगभग 15 दलों ने बैठक में शिरकत करने को लेकर सहमति दे दी है. अब महागठबंधन नेता विपक्ष की बैठक को लेकर तैयारियों में जुट गए हैं. राहुल गांधी और मलिकार्जुन खरगे को लेकर पेंच फंसा था. आपसी बातचीत के बाद विवाद सुलझ गया है और मिल रही जानकारी के मुताबिक विपक्षी दलों की बैठक में दोनों में से एक नेता के शामिल होने की संभावना है।

Nitish Kumar says With the help of pipes Ganga water will be transported to  Gaya - पाइप की मदद से गया तक ले जाया जाएगा गंगा का पानी: नीतीश कुमार

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे विपक्षी एकता के लिए होने वाली बैठक में शामिल होंगे. यह तय माना जा रहा है राहुल गांधी को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. 15 दलों की ओर से बैठक में शामिल होने को लेकर सहमति दी जा चुकी है. तमाम दलों के शीर्ष नेता बैठक में शामिल होंगे. अब तक जो जानकारी दी जा रही है. उसके मुताबिक बैठक में 5 मुख्यमंत्री शामिल होने वाले हैं. नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन बैठक में हिस्सा लेंगे।

राजनीतिक दलों की अगर बात कर लें तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, डी राजा, सीताराम येचुरी और दीपांकर भट्टाचार्य ने भी सहमति दे दी है. नीतीश कुमार के लिए चिंता का सबब यह है कि बहुजन समाज पार्टी की ओर से कोई सकारात्मक संदेश नहीं मिला है. इसके अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने भी सहमति नहीं दी है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सहमति ही नहीं मिली है. इधर नवीन पटनायक ने भी विपक्ष की एकता बैठक से दूरी बनाए रखी है।

 विपक्षी एकता के नाम पर नेताओं का जमावड़ा तो लग रहा है. लेकिन विपक्षी एकता के रास्ते में कई चुनौतियां भी हैं. जिससे नेताओं को दो-चार होना पड़ेगा. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अध्यादेश के मसले पर तमाम दलों का समर्थन चाहते हैं. तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस से भी परहेज है. कांग्रेस पार्टी भी राज्यों की सियासत के चलते अरविंद केजरीवाल के साथ आने में सहज नहीं है. अध्यादेश के मामले ने कांग्रेस को उलझा दिया है.

दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि विपक्षी एकता किसके छतरी के नीचे होगी? क्षेत्रीय दलों के छतरी के नीचे कांग्रेस आएगी या फिर कांग्रेस पार्टी के छतरी के नीचे तमाम दलों को आना होगा. जिन दलों को कांग्रेस पार्टी से परहेज है, उनके साथ किस तरीके का समीकरण बनेगा? सवाल यह भी महत्वपूर्ण है कि नीतीश कुमार ने जो फार्मूला सुझाया था, उसे कांग्रेस पार्टी स्वीकार करेगी या नहीं?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से कहा गया था कि कांग्रेस पार्टी जहां मजबूत है वहां वह लड़े और जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं वहां उनके प्रत्याशी लड़ें. बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार हो. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मुहिम से उत्साहित हैं. तेजस्वी ने कहा है कि 2024 के चुनाव को लेकर भाजपा के लोग डरे हुए हैं. 2 राज्यों में भाजपा की हार हुई है और कई और राज्यों में चुनाव होने है. वहां भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ेगा. तेजस्वी ने कहा कि 15 दलों की सहमति मिल गई है. लेकिन, अब तक केसीआर से बात नहीं हो पाई है.

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