बेतिया, 12 मई। टीबी उन्मूलन लक्ष्य 2025 को लेकर जिले में टीबी मरीजों की खोज को लेकर अभियान चलाया जा रहा है । इसी के तहत जिले के नौरंगिया पंचायत स्थित शेरवा दोन के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गुरुवार को 70 से ज्यादा लोगों की टीबी जांच की गई। वहीँ शुक्रवार को बगहा, चखनी, मरीछवा में टीबी के संभावित मरीजों की खोज की जा रही है। जिले के सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया कि टीबी के लक्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। इसलिए किसी को अगर दो हफ्तों से या ज्यादा समय से लगातार बलगम वाली खाँसी, बुखार हो तो टीबी की जाँच जरूर करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि टीबी उन्मूलन हेतु समुदाय स्तर पर ईंट-भट्ठों, झुग्गी झोपड़ियों, महादलित टोलों, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक किया जाएगा।
टीबी उन्मूलन का हो रहा है प्रयास:
जिले के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने बताया कि वर्ष 2025 तक देश को पूरी तरह टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसे लेकर जिला टीबी नियत्रंण केन्द्र द्वारा जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। टीबी मरीजों की पहचान से लेकर निःशुल्क दवा वितरण एवं निक्षय योजना के तहत मरीजों को मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सीने में दर्द होना, चक्कर आना, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमीं और वजन कम होना आदि लक्षण अगर किसी में है तो टीबी की जांच कराएं।
स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच एवं निःशुल्क इलाज उपलब्ध है:
जिले के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने बताया कि जिला एवं प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी के मरीजों की जांच और इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। दवा भी मुफ्त दी जाती है। स्वास्थ्य केंद्रों पर बलगम की जांच माइक्रोस्कोप एवं टूनेट- सीबीनेट मशीन द्वारा निःशुल्क की जाती है। केएचपीटी की जिला प्रतिनिधि मेनका सिंह एवं सामुदायिक समन्वयक डॉ घनश्याम कुमार ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है। इसे जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है।
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