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मोतिहारी: फाइलेरिया मरीजों के बीच निः शुल्क एमएमडीपी किट का हुआ वितरण, देखभाल के बताए तरीके

मोतिहारी:  फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जिसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता । यह क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद लोगों में कई वर्ष के बाद यह हाथीपांव, बढ़े हुए हाइड्रोसील, महिलाओं के स्तनों में सूजन इत्यादि के रूप में लक्षण दिखाई देता है। यह कहना है जिले के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार का। उन्होंने बताया कि इस बीमारी में शरीर अपंग की तरह हो जाता है। वहीँ उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मरीजों की देखभाल को स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर एमएमडीपी किट मुफ्त में उपलब्ध कराने के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इसके उपयोग के तौर तरीके भी सिखाए जाते हैं। किट के प्रयोग से फाइलेरिया मरीजों को काफी राहत मिलती है ।

केसरिया एवं संग्रामपुर के मरीजों के बीच हुआ किट का वितरण:

केयर इंडिया के डीपीओ मुकेश कुमार ने बताया कि केसरिया एवं संग्रामपुर प्रखंडों केपीएचसी में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी,बीसीएम की मौजूदगी में चयनित 32 मरीजों के बीच किट का वितरण हुआ । केयर डीटीएल स्मिता सिंह ने बताया कि फाइलेरिया से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि एमडीए अभियान के दौरान दवा का सेवन करें,औऱ फाइलेरिया से सुरक्षित रहें। स्मिता सिंह ने बताया कि इस किट में एक छोटा टब, मग, साबुन, एंटी सैप्टिक क्रीम, पट्टी इत्यादि सामान होते हैं। इसके सहयोग से फाइलेरिया मरीज अपने जख्म को ठीक कर सकते हैं। जिससे उन्हें काफी राहत मिलती है।

जिले में फाइलेरिया के 6 हजार 420 हैं मरीज: 

 

जिला वेक्टर बोर्न डिजीज पदाधिकारी डॉ शरतचंद्र शर्मा ने बताया कि जिले में 6 हजार 420 फाइलेरिया के मरीज हैं। जिले में हाथीपाँव के 5 हजार 235 एवं हाइड्रोसील के 1 हजार 187 मरीज हैं। उन्होंने बताया कि हाइड्रोसील फाइलेरिया के मरीजों की जाँच व ऑपरेशन की व्यवस्था विभाग के निर्देश के अनुरूप की जाएगी। उन्होंने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान जिले के 16 हजार 800 लोगों का ब्लड सैम्पल लिया गया, जिसमें 237 लोग संक्रमित पाए गए।

फाइलेरिया से बचाव का उपाय:

 

फाइलेरिया के मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें,साथ ही इससे बचने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत आशा व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा खिलाई जा रही दवा का सेवन करें।

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