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चमकी के रोकथाम हेतु जिले के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर रहें मुस्तैद, अधिकारियों द्वारा किया जा रहा निरीक्षण

बेतिया: 20 अप्रैल को गर्मियों के दिनों में चमकी बुखार से एक वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चे ज्यादातर प्रभावित होते हैं। चमकी बीमारी का तुरंत उपचार किया जाना जरूरी होता है। यह कहना है जिले के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार का। उन्होंने बताया कि चमकी के मामलों के रोकथाम हेतु जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों को दवाओं के साथ चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को पूरी तरह से मुस्तैद रहने का आदेश दिया गया है। उन्होंने बताया कि आज गुरुवार को चनपटिया प्रखंड के बकुलहर पीएचसी, सिकटा पीएचसी समेत अन्य स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया गया है जहाँ सीएचओ, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को इलाज की व्यस्था के साथ ही अपने पीएचसी व महादलित क्षेत्रों में जेई/ एईएस के बारे में लोगों को जागरूक करते हुए चौपाल लगाने के साथ ही कई महत्वपूर्ण निर्देश दिया गया है।

अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण:

भिबीडीएस अरुण कुमार, सुजीत कुमार वर्मा ने बताया कि चमकी अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलती है। उन्होंने बताया कि गर्मियों के दिनों में चमकी बुखार का खतरा बढ़ जाता है ,इसलिए बच्चे कड़ीधूप में न निकलें। उन्होंने बताया कि इस मौसम में बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं। सुबह उठते ही बच्चों को जगायें। साथ हीं देखें बच्चा में कहीं चमकी के लक्षण तो नहीं हैं। लक्षण हो तो तुरंत एंबुलेंस या गाड़ी से नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए।

चमकी के मामलों से निपटने को स्वास्थ्य विभाग अलर्ट:

जिले के सीएस डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया कि-चमकी के मामलों से निपटने को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट है। चमकी से प्रभावित प्रखंडों के साथ ही अन्य पीएचसी में उपर्युक्त दवाओं के साथ स्वास्थ्यकर्मी अलर्ट हैं ताकि चमकी के मामलों पर नियंत्रण रखा जा सके। चमकी के मामलों से बचने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

चमकी से बचाव के उपाय:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने बताया कि बढ़ रहे तापमान में चमकी /एईएस का खतरा बना रहता है। इससे बचाव के लिये अभिभावक अपने बच्चे को धूप से बचाएं। रात को किसी भी हालत में भूखे नहीं सोने दें। दिन में एक बार ओआरएस घोल जरूर पिलाएं। बच्चे को कच्चा एवम अधपका फल नहीं खाने दें। बच्चा अगर घर में भी है तो घर की खिड़की व दरवाजा बंद नहीं करें। हवादार रहने दें। साफ सफाई पर ध्यान दें। अपने क्षेत्र की आशा, चिकित्सकों व नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के नम्बर अपने पास रखें।

चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी:

– बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
– गन्दगी से बचें, कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
– ओआरएस का घोल, नींबू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
– पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।

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