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बिना सरकारी आदेश के ही लोहे के पुल का कर दिया सौ’दा, अब धीरे-धीरे कर रहे पुल की चो’री

सुपौल: बिहार हमेशा से अपने अजीबों – गरीब घ’टना को लेकर सुर्ख़ियों में बना रहता है। आए दिन राज्य के अंदर कहीं न कहीं से ऐसी घ’टनाएं निकल कर सामने आ जाती है, जिसके वजह से राज्य सरकार में शामिल अधिकारियों और उनसे सम्बंधित लोगों के कार्यशैली को लेकर सवाल उठाया जाता है।  इसी कड़ी में अब एक मामला बिहार के सुपौल से जुड़ा हुआ है। जहां नए पुल के टेंडर आने के बाद पहले से मौजूद पुल की सौ’देबाजी कर दी गई। दरअसल, यह पूरा मामला बिहार के सुपौल जिले के छातापुर प्रखंड के लक्ष्मीनियां पंचायत से जुड़ा हुआ है। यहां बिना किसी विभागीय अनुमति लिए कुछ स्थानीय ठेकेदारों द्वारा एक लोहे के पुल को ओने पौने दाम में बेचे दिया गया। जिसके बाद जब इस बात की भनक ग्रामीणों को लगा तो उनके द्वारा जमकर हंगामा मचाया गया है।

वहीं, इस पुरे मामले को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि, गांव के ही गेरा नदी के पास नयी योजनाओं के तहत फाइव स्पेन आरसीसी पुल का निर्माण लगभग 5 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। लेकिन, इससे पहले यहां पूर्वजों द्वारा 1980 के दशक में एक लोहा ब्रिज का निर्माण किया गया था। अब जैसे ही नए पुल का टेंडर हुआ है तब से इस पुराने पुल को लेकर सौदेबाजी शुरू कर दी गई है।

ग्रामीणों ने बताया कि, नए पुल का टेंडर होने के बाद से पुराने पुल को लेकर ग्रामीण कार्य विभाग त्रिवेणीगंज अनुमंडल द्वारा स्थानीय ठेकदार को बेच दिया गया है। हद तो यह है कि, इस पुराने पुल के लोहे को उठाने को लेकर कोई कागजी प्रकिया नहीं पूरी की गई है। इसके बाबजुद ठेकेदार द्वारा आपसी मिलीभगत से पूरा लोहा का पुल को उठा लिया गया है।

बताते चलें कि, इस पुराने पुल में कम से कम 100 मेट्रिक टन से अधिक लोहा लगा था। जिसका बाजार मूल्य लगभग पचास लाख के करीब बताया जा रहा है।लेकिन, अब इसकी सौदेबाजी कर दी गई है। वहीं, इस घट’ना को लेकर स्थानीय मुखिया पति रौशन झा ने बताया कि बिना विभागीय अनुमति के तीन ट्रक से अधिक लोहा को ठीकेदार द्वारा उठा लिया गया है।  इसके बाद जब इस बात की भनक हमलोगों को लगी तो फिर वो लोग वापस से लोहा उठाने आये तो उनका  ग्रामीणों द्वारा विरोध किया गया है। उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर जिला प्रशासन से जांच की मांग की है।

गौरतलब हो कि,इससे पहले भी जहानाबाद के निजामुद्दीनपुर के निकट एनएच-110 पर दरधा नदी पर बने ब्रिटिशकालीन पुल से लोहे की चोरी का मामला सामने आया था।  जिसमें यह कहा गया था कि, यहां चोरी का खेल करीब पिछले दो वर्षों से चल रहा है, लेकिन पुल में लगे लोहे को इतनी सफाई से काटा जा रहा है कि पहले तो कुछ महीनों तक लोगों का ध्यान ही नहीं गया। बाद में जब पुल का कई हिस्सा कटा हुआ मिला, तो आसपास के लोगों ने इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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