छठ पूजा पर बिहार आने वाली सभी ट्रेनें फुल हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, हैदराबाद, बेंगलुरु समेत अन्य शहरों में काम कर रहे बिहारी घर आने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं, लेकिन बिहार की ट्रेनों में टिकट नहीं मिल रहे हैं। अधिकतर ट्रेनों में रिजर्वेशन बंद कर दिया गया है।
तत्काल टिकट के लिए मारामारी चल रही है। रेलवे द्वारा चलाई गई पूजा स्पेशल ट्रेनों में भी जगह नहीं है। दिवालीके मुकाबले छठ से पहले घर आने वालों की भीड़ ज्यादा है। ऐसे में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बीते दो साल कोरोना की वजह से छठ पूजा का त्योहार धूमधाम से नहीं मन पाया था। दूसरे राज्यों में काम करने वाले कई लोग अपने घरों पर ही थे, वहीं कुछ वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे। मगर इस साल कोई प्रतिबंध नहीं है, ऐसे में छठ पर्व को लेकर बिहार के लोगों में काफी उत्साह है। बिहार से बाहर काम कर रहे लोगों में छठ से पहले घर पहुंचने की होड़ मची हुई है।
आलम ये है कि पटना, दरभंगा, समस्तीपुर, भागलपुर, मुजफ्फरपुर आने वाली ट्रेनों पैर रखने की जगह नहीं बची है। स्लीपर क्लास के डिब्बों में टॉयलेट और गेट तक लोग बैठे हैं। जनरल डिब्बों का तो हाल बेहाल है, इनमें भेड़-बकरियों की तरह लोग भरे हुए हैं।
पूजा स्पेशल ट्रेनें नाकाफी
छठ पूजा पर यात्रीभार को देखते हुए रेलवे ने दर्जनों स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। मगर वो भी कम ही नजर आ रही हैं। स्पेशल ट्रेनों में भी सीटें फुल हो चुकी हैं और वेटिंग लिस्ट लंबी हैं। ऐसे में यात्रियों को कन्फर्म टिकट नहीं मिल पा रहे हैं। पहले से चल रही कुछ ट्रेनों में अतिरिक्त डिब्बे भी बढ़ाए गए हैं, लेकिन वो भी ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है।
दूसरे विकल्प तलाश रहे लोग
ट्रेनों में जगह नहीं होने से कामकाजी लोग घर पहुंचने के लिए दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। बिहार आने वाली बसों के संचालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं। दिल्ली से पटना के बीच बस में एक सीट के चार से 7 हजार रुपये तक किराया लिया जा रहा है। विमानों में भी किराया आसमान पर पहुंच गया है। कुछ लोग 15 से 30 हजार रुपये तक खर्च कर प्राइवेट टैक्सी करके घर आ रहे हैं। मगर कम आय और गरीब एवं मजदूर वर्ग के पास ट्रेनों में किसी तरह लटककर ही घर आने का विकल्प बचा है।
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