पटना हाईकोर्ट ने बिहार में लागू शरा’बबंदी कानून को लेकर नीतीश सरकार पर तीखी टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने कहा कि इस कानून से नए तरह के अप’राध पैदा हो रहे हैं। शरा’बबंदी को उसकी वास्तविक भावना से लागू नहीं किया गया। अधिकारी शरा’ब त’स्करी को रोकने में लापरवाही बरत रहे हैं। ये सरकारी मशीनरी की विफलता का परिणाम है।
हाईकोर्ट ने इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करने का आदेश निबंधक को दिया, ताकि इसपर वृहत रूप से सुनवाई की जा सके। न्यायमूर्ति पूर्णेन्दु सिंह की एकलपीठ ने मंगलवार को जमानत के कई मामलों की सुनवाई के बाद अपने 20 पन्नों के आदेश में आठ बिंदुओं पर चर्चा की।
आदेश में कहा गया कि राज्य मशीनरी की विफलता के कारण प्रदेश के नागरिकों का जीवन जो’खिम में है। राज्य के बाहर से श’राब की त’स्करी धड़ल्ले से हो रही है। नेपाल और कई पड़ोसी प्रदेश से राज्य में शरा’ब की त’स्करी हो रही है। टैक्स चो’री के साथ-साथ इस धं’धे में नाबालिगों को श’राब परिवहन में शामिल किया गया है। शरा’ब की त’स्करी में नकली पंजीकरण वाले वाहनों का उपयोग हो रहा है।
आदेश के मुताबिक यही नहीं, चो’री के वाहनों का भी उपयोग हो रहा है। कई वाहनों का नंबर, इंजन नंबर और चेसिस नंबर के साथ छेड़छाड़ करने की शिकायत मिली है। शरा’बबंदी और उसकी त’स्करी पर लगाम लगाने के लिए तैनात अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है।
जांच अधिकारी तलाशी और जब्ती में कर्तव्य का पालन सही तरीके से नहीं कर रहे हैं। यहां तक कि अनुसंधान में कई खामियां पाई गई हैं। जिसका लाभ अभियुक्तों को मिलना तय है। ऐसे अधिकारियों पर सख्त कदम उठाने में राज्य सरकार विफल रही है। दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने से उनका मनोबल बढ़ा हुआ है।
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