बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की गुपचुप तरीके से हुई मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। एनडीए का साथ छोड़ने के बाद नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं। इस बीच उन्होंने अपने पुराने साथी प्रशांत किशोर से मुलाकात की, तो उसके कई मायने निकाले जाने लगे। नीतीश कुमार अगर पीके को अपने साथ लाने में कामयाब होते हैं, तो वे उनका प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा करने में मदद कर सकते हैं।
सीएम नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की मंगलवार को एक गुप्त मुलाकात हुई। दोनों के बीच बंद कमरे में करीब दो घंटे तक गुफ्तगू चली। हालांकि, पहले पीके से इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने झूठ बोल दिया कि उनकी सीएम नीतीश से कोई मुलाकात नहीं हुई। बाद में जब नीतीश कुमार ने इसकी पुष्टि की तो पीके को भी मानना पड़ा। हालांकि दोनों की ओर से साथ आने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। नीतीश कुमार का कहना है कि पीके से उनकी कोई खास बात नहीं हुई, बस सामान्य बातचीत हुई।
नीतीश का पीएम बनने का सपना, लेकिन राह में बड़ी चुनौतियां
सीएम नीतीश अभी विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं। वे भले ही सार्वजनिक रूप से खुद को विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं मान रहे हैं, मगर उनके मन में पीएम बनने की चाहत साफ झलक रही है। हालांकि, इस राह में उनके सामने कई चुनौतियां हैं। AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को अपने साथ लाना उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज है।
क्योंकि केजरीवाल चाहते हैं कि विपक्षी दलों के गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किया जाए। वहीं, ममता बनर्जी वाम दलों के साथ नहीं आना चाहती हैं। मगर नीतीश कुमार बीजेपी विरोधी सभी दलों को एक साथ लाना चाहते हैं जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, ताकि 2024 का लोकसभा चुनाव मजबूती से लड़ा जा सके।
केजरीवाल और ममता को मनाने में पीके निभा सकते हैं अहम भूमिका
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी से अच्छे संबंध हैं। अगर नीतीश कुमार उन्हें अपने साथ लाने में कामयाब होते हैं, तो उनका पीएम बनने का सपना पूरा करने में पीके मदद कर सकते हैं। पीके, ममता और केजरीवाल को नीतीश के साथ लाने में सेतु का काम कर सकते हैं। प्रशांत किशोर ने 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और 2021 में पश्चिम बंगाल चुनाव में टीएमसी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इसके अलावा पीके के तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी से भी अच्छे संबंध हैं। इन दोनों दक्षिण भारतीय नेताओं से अभी तक नीतीश कुमार की मुलाकात नहीं हुई है। पीके इन्हें भी नीतीश के साथ लाने में मदद कर कर सकते हैं। यानी कि अगर प्रशांत किशोर अगर मान गए तो नीतीश कुमार की विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम को बड़ी मजबूती मिलेगी। साथ ही उनके पीएम उम्मीदवार बनने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
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