रोहतास जिले में एक बार फिर बिहार पुलिस की दादा’गिरी देखने को मिली है. दरअसल बिहार के रोहतास जिले में नौहट्टा थाना के एक एएसआई पर एक दिव्यांग शिक्षक की पि’टाई का सनसनीखेज मामला सामने आया है.
बताया जाता है कि तिलौथू के प्राथमिक विद्यालय के दृष्टि दिव्यांग शिक्षक संजय कुमार विश्वकर्मा के साथ मार’पीट की गई है. संजय कुमार विश्वकर्मा के परिवार में जमीन का कोई वि’वाद चल रहा है. उसी वि’वाद में बताया जाता है कि नौहट्टा थाना का एएसआई मनीष कुमार ने उसे घर पर जाकर थाना आने के लिए कहा.
जब शिक्षक संजय कुमार विश्वकर्मा थाना पहुंचे तो आरो’प है कि एएसआई मनीष कुमार उनके साथ गा’ली गलौ’ज करने लगे. जिस पर पीड़ित ने अपने मोबाइल में रिकॉर्डिंग शुरू करना चाहा. जिस पर नाराज होकर थाना के कमरे में बंद कर 4 घंटे तक शिक्षक को यातनाएं दी गई.
साथ ही पिटाई से शरीर पर जख्म उभर आए हैं. जब स्थिति बिगड़ने लगी एवं सूचना पर थाने पहुंचे परिवार के लोग चीखने चिल्लाने लगे तब शिक्षक को छोड़ा गया. इसके बाद शिक्षक ने अपना इलाज कराया तथा पुलिस के वरीय अधिकारियों को सूचना दी है. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
इस मामले के सामने आने के बाद जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नौहट्टा थाना का घेराव करने पहुंच गए एवं थाना प्रभारी से पूरे घटनाक्रम की शिकायत किया तथा कार्रवाई की मांग की. नौहट्टा के थाना प्रभारी ने शिकायत पर कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर लोग माने.
जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ता तो यह बुनियादी ने पुलिस को अल्टीमेटम दिया कि अगर तय समय सीमा के अंदर दोषी पुलिसकर्मी पर कार्रवाई नहीं हुई तो चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जाएगा एवं पार्टी के कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन तथा गिरफ्तारी देंगे. वहीं इस घटना के बाद से पीड़ित शिक्षक काफी भयभीत हैं एवं अपनी आपबीती बताते हुए फफक-फफकर रोने लगते हैं. बुधवार को अपने परिवार के संग उन्होंने थाना पहुंचकर फिर से थानाध्यक्ष को अपनी आपबीती सुनाई और कार्रवाई एवं न्याय की गुहार लगाई है.
पुलिस कर रही है जांच पर जांच
चुकी पीड़ित शिक्षक ने पूरे प्रकरण की शिकायत डीआईजी छत्रनिल सिंह से की है. जिसके बाद पुलिस हरकत में आई है तथा एक डीएसपी स्तर का अधिकारी मामले की जांच करने के लिए नौहट्टा पहुंचा. लेकिन, पीड़ित शिक्षक से अब तक किसी प्रकार की पूछताछ नहीं हुई है. ना हीं पुलिस के कोई वरीय अधिकारी उससे संपर्क किये है. जिसको लेकर कहीं ना कहीं पीड़ित पक्ष में और संतोष है.
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