राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की सिफारिशों पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 12 बच्चों के परिजनों को राहत के रूप में 36 लाख रुपये का भुगतान किया है, जो उधमपुर में ‘नकली कफ सिरप’ के सेवन के बाद मौ’त का शि’कार हो गए थे। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। एनएचआरसी ने कहा कि यह घ’टना दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 के दौरान उधमपुर के रामनगर में हुई थी।
NHRC ने बयान में कहा कि आयोग ने 30 अप्रैल, 2020 की एक शिका’यत के आधार पर मामला दर्ज किया था। इसमें कहा गया, “राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों पर, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने आखिरकार उन 12 शिशुओं के परिजनों को 36 लाख रुपये की मौद्रिक राहत का भुगतान किया है, जिनकी खांसी की दवाई पीने से मौ’त हो गई थी, बाद में पाया गया कि दवा न’कली थी।”
बयान के मुताबिक, आयोग के नोटिस के जवाब में केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने कहा था कि ‘उसके औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से किसी भी तरह के लापर’वाही की कोई गुंजाइश नहीं थी, गुणवत्ता वाली दवाओं का निर्माण मुख्य रूप से निर्माण कंपनी और विभाग की जिम्मेदारी है। पहले ही सक्षम अदालत में इसके खिला’फ औपचारिक शि’कायत दर्ज कराई जा चुकी है।”
बयान में कहा गया कि आयोग ने दली’ल को अस्वीकार्य पाया और देखा कि मामले में चू’क से इनकार नहीं किया गया था, लेकिन औषधि विभाग जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता था। आयोग ने कहा, “यह देखा गया कि विभाग अपने अधिकार क्षेत्र में बेची जाने वाली दवा के संदूषण और सामग्री पर नियमित निगरानी रखने में विफल रहा है। इसलिए राज्य ला’परवाही के लिए प्रत्येक पी’ड़ित परिवार को 3 लाख रुपये की मौद्रिक राहत के भुगतान के लिए जिम्मेदार है।”
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