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खेती पर महंगाई की मा’र : डीजल की बढ़ती महंगाई से किसानों की टू’ट रही कमर

बिहार के गोपालगंज जिले में कृषि संसाधनों के मूल्यों में लगातार हो रही वृद्धि से खेती की लागत लगातार बढ़ रही है। पिछले पांच वर्षों में डीजल, खाद, बीज, मजदूरी की दर व परिवहन खर्च में चालीस से पचास फीसदी तक इजाफा हुआ है। लेकिन, किसानों की मेहनत व पूंजी के लिहाज उत्पादित अनाज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

price of disel affect cutting of crops in rohtas - Bihar Rohtas General  News - रोहतास के किसानों पर महंगाई की मार, डीजल का दाम बढ़ने से गेहूं की  कटनी-दवनी पर असर

साथ ही,  बाढ़, ओलावृ’ष्टि व अतिवृ’ष्टि से फसलों के बर्बा’द होने से किसानों की पूंजी भी डू’ब रही है। पिछले पांच वर्षों में मौसम की अनियमितता व प्राकृतिक आपदाओं के प्रको’प से जिले के किसान परेशा’न हैं।

खाद की महंगाई से तो किसान बच गए, डीजल की मार से कौन बचाएगा? | TV9  Bharatvarsh

पिछले पांच वर्षों के दौरान डीजल के दाम में प्रति लीटर चालीस रुपए की वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 में डीजल की कीमत 62.77 रुपए प्रति लीटर थी। फिलहाल 102.52 रुपए प्रति लीटर डीजल बिकने से किसानों के लिए खेत की जुताई, पंप सेट से सिंचाई, थ्रेसिंग व खेत से खलिहान व घर तक अनाज की ढुलाई खर्च भी काफी बढ़ गया है।

Fertilizer Price Hike: डीजल की कीमतों में वृद्धि के बाद अब किसानों पर खाद  के महंगाई की मार | Huge hike in fertilizer npk prices | Patrika News

भाड़े पर पंप सेट से सिंचाई व खेत की जुताई कराने में किसानों को पांच वर्षों में दोगुना अधिक खर्च करना पड़ रहा है। जिले के किसान खासकर गन्ना, गेहूं, धान, दलहन तथा तेलहन की फसल उगाते हैं। आलम यह है कि गेहूं की खेती में प्रति एकड़ छह हजार से बढ़ कर दस से बारह हजार रुपए तक खर्च बढ़ गया है।इसी तरह गन्ना की बुवाई का खर्च 12 से 13 हजार रुपए प्रति एकड़ तक पहुंच गया है। धान की खेती की लागत भी 30 फीसदी तक बढ़ गई है। खेती की लागत में वृद्धि के बाद भी अनाज के भावों में महज दस से पंद्रह फीसदी की ही वृद्धि ही 5 वर्षों में हुई है। बता दें, सरकारी स्तर पर गेहूं व धान की खरीदारी नहीं होने से किसानों को सरकार से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता है। अधिकतर किसान जरूरी के अनुसार गल्ला व्यवसायियों से उनके मनमाने भाव पर अनाज बेचते हैं।

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