पटना: बिहार में पिछले एक महीने में सब्जियों के दाम में 20 से 80 प्रतिशत तक की कमी आई है। राजधानी पटना के मीठापुर मंडी में परवल की कीमत एक महीने पहले 60 रुपए किलो थी. यह अब 10 से 20 रुपए तक पहुंच चुकी है। वहीं, 36 रुपए किलो बिकने वाला कुंदरी 15 रुपए किलो पर पहुंच चुका है. इसके अलावा 40 रुपए वाला खीरा 20-24 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है. दूसरी ओर बैंगन जिसकी कीमत 45 रुपए किलो थी. यह 16 से 20 रुपए में बिक रहा है।
हरी मिर्च कीकम 110 से 60 रुपए पर पहुंच चुकी है. शिमला मिर्च का दाम 60 से 40 रुपए किलो हो गया है. दूसरी ओर कद्दू की कीमत 30 से 20 रुपए पर आ गई है. पत्ता गोभी की कीमत 30 से 24 रुपए प्रति किलो पर पहुंची है. जबकि, भिंडी की कीमत 50 रुपए किलो से 20 रुपए किलो पर आ गई है. इसके अलावा टमाटर और अदरक की कीमत में कमी नहीं हुई है. टमाटर की कीमत में इजाफा हुआ है.प्याज के भाव में भी कमी नहीं हुई है. टमाटर की कीमत जुलाई के महीने में 80 रुपए किलो तक थी. यह अब बढ़कर 160 पर पहुंच चुका है।
टमाटर की कीमत में सरकारी हस्तक्षेप के कारण 30 से 40 रुपए की कमी हुई. वहीं, लहसून की कीमत 120 से बढ़कर 190 और 220 रुपए किलो तक पहुंच चुकी है. इधर, प्याज की कीमत में 10 रुपए किलो तक की बढ़ोतरी हुई है. बता दें कि बिहार में पिछले तीन महीने से सब्जियों की बढ़ती कीमत ने सभी को परेशान किया था. इसके बाद अब सब्जियों की कीमत में कुछ कमी आई है. इससे आम लोगों को राहत मिली है. सब्जियां तीन महीने से महंगाई की मार झेल रही थी. थोक सब्जी बेचने वाले बताते है कि सब्जियों की आवक में इजाफा होने के कारण दाम में कमी आई है।
बताया जाता है कि राज्य में सावन में सब्जियों की फसल के लिए पर्याप्त बारिश हुई है. उत्पादन उम्मीद से अधिक हुआ और मंडियों में अधिक आवक होने से कम से कम कीमत की बोली लगने लगी है. सब्जियों पर लगातार महंगाई की मार थी. इसके बाद उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर सामने आई है. उम्मीद से अधिक उत्पादन हुआ है. इससे हरी सब्जियों की दोगुनी कीमत गिर गयी है. सब्जी कारोबारियों की मानें तो अधिक से अधिक कमाई के ख्याल से किसानों से सब्जी की बंपर खेती की है. भीषण गर्मी के कारण स्थानीय सब्जी उत्पादक क्षेत्रों में सब्जियों की लत सूख जाने के कारण पिछले तीन माह से हरी सब्जियों पर महंगाई की मार थी. सब्जी की कीमत पिछले कई वर्षों से चढ़ी रही. फिर इसी बीच सावन में शाकाहार की मांग बढ़ने के कारण घर से लेकर बाजार तक हरी सब्जियों की मांग बढ़ गयी थी. हरी सब्जियों के व्यंजन की संख्या बढ़ गयी. इसके विपरीत सावन में ही 20 दिन के अंदर हरी सब्जियों की कीमत दोगुनी तक गिर जाने से उपभोक्ताओं को चौका दिया।
टमाटर के भाव में इजाफा होने का सबसे बड़ा कारण है कि बारिश में टमाटर की फसल खराब हुई है. दूसरे राज्यों में वर्षा हुई है. इधर बारिश की कमी के कारण धान की खेती कर रहे किसान हताश हैं. जिले में अबतक लक्ष्य के अनुरूप महज 11 प्रतिशत खेतों में धान की रोपनी पूरी हुई है. किसानों ने हजारों रुपये की पूंजी लगाकर धान की पौधशाला तैयार की. खेत में पानी के अभाव में धान के बिचड़े की रोपनी शुरू नहीं हो पायी है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर से मिली जानकारी के अनुसार भागलपुर जिले में जुलाई में 49 प्रतिशत कम बारिश हुई. हालांकि अगस्त में सामान्य बारिश होने की उम्मीद जताई जा रही है। जुलाई में भागलपुर जिले में औसतन 309 मिलीमीटर बारिश होती है। लोगों को उमस भरी गर्मी से निजात नहीं मिल रहा है। हालांकि, मौसम विभाग ने बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है. किसान बूंद-बूंद की बारिश के लिए तरस रहे हैं।
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