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एक साथ 51 जोड़े ने लिए सात फेरे, आधा दर्जन दिव्यांग भी

श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल रविवार को एक अलग ही रोशनी में जगमगा रहा था. फूलों की खुशबू, शहनाई की मधुर धुन और दूल्हा-दुल्हन के चेहरे पर सजी मुस्कान ने जैसे इस स्थान को किसी मंदिर सा पवित्र बना दिया. मौका था एक विवाह ऐसा भी के 13वें संस्करण का, जो मां वैष्णो देवी सेवा समिति द्वारा हर वर्ष आयोजित किया जाता है.

लेकिन यह कोई आम शादी समारोह नहीं था. यह उस तबके की खुशियों की चादर बुनने का प्रयास है, जो आर्थिक तंगी, सामाजिक असमानता और पारिवारिक दबावों के कारण विवाह जैसे पवित्र बंधन से कोसों दूर रह जाते हैं. विवाह को संपन्न करने के लिए हॉल के बाहर 51 मंडप बने थे, जहां 51 पंडितों ने पूरे पारंपरिक रस्मों रिवाज और वैदिक रीति- रिवाज से संपन्न कराया है.

इसमें 6 दिव्यांग जोड़े भी शादी के गठबंधन में बंधे. इसमे एक नेत्रहीन वर भी थे. पहली बार शादी के बंधन में बंधे जोड़े को प्राकृतिक से जुड़े रहने और प्राकृतिक के प्रति प्रेम और जगे. इसके लिए एक-एक आम के पेड़ और गौरैया की संख्या बढ़ाने के लिए एक-एक घोंसला भी दिया गया. संस्था ने विगत 12 वर्षों में 586 शादियों का सफल सफर तय किया गया है.

इस साल 51 जोड़ों ने एक-दूसरे का हाथ थामा, न केवल समाज के सामने बल्कि ईश्वर के साक्षी में. इस मौके पर हजारों लोगों ने 51 जोड़े को आशीर्वाद दिया. इसके साक्षी सूबे के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी बने. इस आयोजन ने न केवल विवाह संस्कार की गरिमा को बढ़ाया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि सामूहिक सहयोग, संवेदना और संगठन की शक्ति से समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है.

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मानव सेवा माधव सेवा है. मां वैष्णव सेवा समिति में व्यवसायी है. ये लोग मानव सेवा करने में लगे हुए हैं. आपने सेवा के क्षेत्र में एक मिसाल पैदा किया है. आरिफ खान ने कहा कि ये अद्भुत कार्यक्रम है. इसमें पुनीत कार्य में हर समाज के लोगों आगे आना चाहिए.

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि समिति केवल शादी ही नहीं कराती है बल्कि जीवन रक्षक ब्लड भी जरूरतमंदों को उपलब्ध कराती है. इसके अलावा सूबे के मंत्री अशोक चौधरी, नितिन नवीन और पूर्व मंत्री श्याम रजक, पद्मश्री विमल जैन, राकेश कुमार , आशीष आर्दश आदि मौजूद थे.

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