बिहार: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने आप को सुशासन बाबू की सरकार कहते हैं लेकिन कहीं ना कहीं बिहार में बन रहे भ्रष्टाचार के पुल लगातार जमीदोज होते दिख रहे है. पिछले एक सप्ताह में बिहार के करोड़ों रुपए की लागत के पुल उद्घाटन से पहले ही नदी में समा गई है. वहीं जमुई जिले में भी भ्रष्टाचार के कारण लगभग पांच पुल क्षतिग्रस्त है जो कि कभी भी बड़ी दुर्घटना का शिकार हो सकते है और पुल जो है जमींदोज हो सकते है।
जमुई जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत 333 ए पर बने नरियाना पुल और मांगो बंदर पुल भी क्षतिग्रस्त है. जिस पर बड़े वाहन का आना जाना बंद कर दिया गया है. क्योंकि नदी पर बने नरियाना पुल 2009 में बनना शुरू हुआ था और 2011 में बनकर तैयार हुआ था. इसका उद्घाटन भी हो गया था. वहीं 2017 में पुल के 11वें नंबर का पाया स्लैब के पास टूट गया और पुल क्षतिग्रस्त हो गया. तब से आज तक कई जगह पुल क्षतिग्रस्त हो चुका है. लेकिन किसी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. जिसको लेकर जिला प्रशासन के द्वारा बड़े वाहन का आना- जाना बंद कर दिया गया. लेकिन मजे की बात तो यह है कि बगल गांव के लोगों को पुल बन जाने के बाद खासा उम्मीद जगी थी कि एरिया डेवलप होगा और लोगों को रोजगार मिलेगा.
अगर समय रहते विभाग के लोग इस पर संज्ञान नहीं लेते हैं तो बड़ी दुर्घ’टना से इनकार नहीं किया जा सकता है. क्योंकि बरसात आने वाली है और बारिश के बाद जिले के लगभग सभी नदियों में बालू की अवै’ध तरीके से काफी गहराई तक बालू की खुदाई की गई है. जिससे नदी पर बने पुल दु’र्घटनाग्रस्त होने की आशंका और बढ़ जाती है.
वहीं पूरे मामले को लेकर जिला पदाधिकारी राकेश कुमार का कहना है कि नारियाना और मांगोबंदर पुल निर्माण का टेंडर हो चुका है और भूमि अधिग्रहण के बाद कार्य शुरू हो जाएगा. जिले भर में जितने भी पुल क्षतिग्रस्त हैं उन सभी की सूची राज्य स्तर पर मांगी गई है. हम लोगों के द्वारा भेजी जा रही है जो भी पुल क्षतिग्रस्त है. उसके ऊपर विभाग के द्वारा संज्ञान लिया जाएगा और कार्य किया जाएगा. वहीं नरियाना पुल को लेकर नारियाना गांव के लोग ज़ी मीडिया के कैमरे पर ही सरकार और जनप्रतिनिधि के खिलाफ काफी गुस्से में हैं और कार्य में लापरवाही भ्रष्टाचार और गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं करने का आरोप लगा रहे है।
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