चैती छठ महापर्व: नहाय-खाय के साथ शुक्रवार से सूर्य उपासना का महापर्व चार दिवसीय चैती छठ शुरू होगा। शनिवार को व्रती खरना पूजन करेंगे। रविवार को संध्या अर्घ्य और सोमवार को सुबह के अर्घ्य के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न होगा। चैती छठ को लेकर शहर के तालाब, नदी घाटों की साफ-सफाई गुरुवार से शुरू हो गई। शहर में बूढ़ी गंडक के आश्रमघाट, अखाड़ाघाट, सिकंदरपुर सीढ़ी घाट और संगम घाट पर व्रतियों की भीड़ उमड़ती है।
इससे पूर्व शुक्रवार की सुबह नहाय-खाय के दिन सुबह में स्नान कर महिला व्रती सूर्य देव की पूजा करेंगी। एक दूसरे की मांग में सिंदूर भर सुहाग की सलामती की कामना करेंगी। जो व्रती नदी घाट पर नहीं जा सकेंगी, वे अपने घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करेंगी।
नहाय-खाय को कद्दू की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसी दिन गेहूं धोकर सूखाने की परंपरा है। शनिवार को इसी गेहूं के आटा से खरना का प्रसाद तैयार किया जाता है। खरना प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
छठ को लेकर टोकरी, दउरा, अर्घ्य के लिए कोलसूप व चंगेला लोग खरीद रहे हैं। वहीं, अर्घ्य के लिए कोलसूप दो सौ रुपये जोड़ा और चंगेली डे़ढ़ सौ रुपये जोड़ा उपलब्ध है। वहीं, अघोरिया बाजार में भी दउरा और चंगेला का बाजार सजा हुआ है। नारियल समेत अन्य पूजन सामग्रियों की खरीदारी भी गुरुवार से शुरू हो गई है।
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