अपने एक्शन को लेकर चर्चा में रहने वाले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक और चंद्रशेखर फिर आमने-सामने आ गए हैं। दोनों ओर से लेटरबाजी भी हो रही है। मामला भीषण सर्दी के कारण स्कूलों को बंद करने का है। बिहार में पिछले कई दिनों से शीत लहर का प्रकोप जारी है। इसे देखते हुए कई जिलों के डीएम ने क्लास 1 से 8 तक के स्कूलों को बंद कर दिया था। छुट्टी से लौटते ही केके पाठक ने इसे गैरकानूनी करार दिया था और छुट्टी का आदेश वापस लेने का निर्देश दिया था।
कड़क आईएएस पदाधिकारी के रूप में पहचान बना चुके केके पाठक का चंद्रशेखर से 36 का आंकड़ा जारी है। लगता है कि चंद्रशेखर से विवाद उनकी कुंडली में है। लेकिन इस बार उनके सामने प्रोफेसर चंद्रशेखर नहीं बल्कि डॉक्टर चंद्रशेखर हैं। केके पाठक का अपने विभागीय मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के साथ टकराव पुरानी बात हो चुकी है। अब पटना के डीएम डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह और केके पाठक आमने-सामने आ गए हैं। मंगलवार से स्कूल खोलने को लेकर शिक्षा विभाग के पत्र का जवाब पटना डीएम ने नया पत्र भेज कर दिया है।
दरअसल बढ़ती ठंड को देखते हुए राज्य के कई जिलों में स्कूलों को 20 जनवरी तक बंद कर दिया गया था। इसी बीच 17 जनवरी को केके पाठक ने छुट्टी से लौटकर अपना पदभार ग्रहण कर लिया। चार्ज लेते ही एक्शन में आए पाठक ने सर्दी के मौसम में स्कूल बंदी को गलत करार दिया और सभी जिलों के डीएम और कमिश्नर को चिट्ठी भेज कर निर्देश दिया कि स्कूल खोले जाएं। जिलाधिकारी ने धारा 144 के तहत अपने अधिकार का उपयोग करते हुए ठंड के मौसम में स्कूलों में बनने की घोषणा कर दी थी। केके पाठक ने उन्हें न सिर्फ सीआरपीसी धारा 144 का मतलब समझाया बल्कि तंज करते हुए कहा था कि यह कैसी सर्दी है जो सिर्फ स्कूलों में पड़ती है, बाजार में नहीं। उन्होंने हिदायत दी थी कि स्कूलों में छुट्टियां घोषित करने से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति ले लें।
केके पाठक का आदेश जारी होने के बाद नालंदा और पटना के जिलाधिकारी ने अपने-अपने जिलों में स्कूल बंदी में विस्तार कर दिया। पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह ने 23 जनवरी तक जिले के सभी स्कूलों में क्लास एक से आठ तक की पढ़ाई पर रोक लगा दी। केके पाठक इससे नाराज हो गए। सोमवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को चिट्ठी भेज कर आदेशित किया कि सभी स्कूलों का संचालन सुनिश्चित करें। पत्र में पटना जिला अधिकारी के आदेश को यह कहकर गलत बताया गया कि उन्होंने शिक्षा विभाग से अनुमति नहीं ली थी। इस पर दो आईएएस पदाधिकारी आमने-सामने आ गए हैं।
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