पटना: बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति एजेंसी के माध्यम से किए जाने पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि “यह गलत परंपरा की शुरुआत है। सरकार ने किस आधार पर एजेंसी के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान किया है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है।” एजेंसी से नियुक्ति होने से कुछ चंद लोगों को फायदा होगा। शिक्षा विभाग के सचिव ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर एजेंसी के माध्यम से शिक्षकों के खाली पदों को भरने की बात कही थी।
गुरुवार को राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विवि के सीनेट की बैठक समाप्ति के बाद कहा कि “इससे उच्च शिक्षा के स्तर में गिरावट होगी।” उन्होंने बताया कि बिहार को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने को लेकर वह प्रतिबद्ध हैं और नई शिक्षा नीति के लागू होने से सकारात्मक असर भी साफ दिखाई पड़ रहा है। उन्होंने सीनेट सदस्यों की सक्रिय भागीदारी की तारीफ की। कहा कि इस विवि के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है। साल में दो बैठक विश्वविद्यालय में एकेडमिक और बजट की होनी चाहिए।
पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने बड़ा निर्णय लिया था कि सूबे के सभी विश्वविद्यालय में अब निजी एजेंसियां शिक्षक उपलब्ध कराएंगी। इसके लिए शिक्षा सचिव बैद्यनाथ यादव ने सभी कुलपतियों को पत्र भेजा है। शिक्षा विभाग ने इसके लिए चार एजेंसियां को तय कर दिया है। खाली सीटों पर ही बहाली होगी। यह व्यवस्था दो वर्षों के लिए होगी। शिक्षा विभाग ने कहा है कि कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। शिक्षा विभाग ने कहा है कि कॉलेजों के प्रिंसिपल एजेसियों से करार करने में सक्षम होंगे। वह खुद से चारों में से किसी एक एजेंसी से करार कर सकेंगे। एजेंसियों को विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार काम करना होगा। टेंडर में तय सभी शर्तों के अनुसार ही काम करना होगा।
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