डॉ. लोबसांग सांगेय के मुताबिक जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया गया था,तब माओत्से तुंग और अन्य चीनी नेताओं ने कहा थाकि तिब्बत वह हथेली है जिस पर हमें कब्जा करना चाहिए, फिर हम पांचों उंगलियों पर भी जाएंगे।
डॉ. लोबसांग सांगेय के मुताबिक जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया गया था,तब माओत्से तुंग और अन्य चीनी नेताओं ने कहा थाकि तिब्बत वह हथेली है जिस पर हमें कब्जा करना चाहिए, फिर हम पांचों उंगलियों पर भी जाएंगे
बोले– चीन के सुरक्षा कानून का सबसे पहला शिकार तिब्बत ही था, वह दिन दूर नहीं जब नेपाल को चीन के नाम से ही जाना जानेलगेगा। कहा– नेपाल के उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को खरीद कर अपने में मिलाने की नीति पर काम कर रहा चीन
नेपाल ने अभी ध्यान नहीं दिया तो उसका भी वही हाल होगा जो 1949 में तिब्बत का हुआ था। एक इंटरव्यू के दौरान केंद्रीय तिब्बतीप्रशासन के अध्यक्ष डॉ. लोबसांग सांगेय ने यह बात कही। उन्होंनेबताया कि चीन नेपाल के उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को खरीदकर अपने में मिलाने की नीति पर काम कर रहा है। उन्होंने नेपाल सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जिस तरह से चीन ने पहलेतिब्बत तक सड़क बनाई और फिर उसी सड़क से ट्रक, टैंक और बंदूक लाकर तिब्बत पर कब्जा जमाया, उसी तरह से चीन नेपाल कोभी अपनी सीमा में मिला लेगा। चीन के सुरक्षा कानून का सबसे पहला शिकार तिब्बत ही था। अगर भारत–चीन का सीमा विवादसुलझता है तो उसे सबसे पहले तिब्बत का मामला सुलझाना चाहिए।
चीन ने 1959 में तिब्बतियों के विद्रोह को कुचल दिया था।
तिब्बत का इतिहास बेहद उथल–पुथल रहा है। लेकिन, साल 1950 में चीन ने इस क्षेत्र को अपनी सीमा में मिलाने के लिए हज़ारों कीसंख्या में सैनिक भेजकर हमलाकर दिया था। तब तिब्बत के अलावा उससे लगने वाले बाकी क्षेत्रों को भी चीनी प्रांतों में मिला दियागया था।साल 1959 में तिब्बतियों ने चीन के खिलाफ विद्रोह करने की कोशिश की, लेकिनचीन ने उस विद्रोह को बेरहमी से कुचलकर पूरे तिब्बत को अपनी सीमा में मिला और 14वें दलाई लामा को तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी। यहां उन्होंने निर्वासिततिब्बत सरकार का गठन किया था। तब से ही तिब्बत चीन के कब्जे में है।
नेपाल का एक गांव रुई अब चीन के कब्जे में
आज नेपाल की भी वही हालत है। चीन नेपाल के कई क्षेत्रों को पहले ही रोड बनाने के नाम पर हड़प चुका है और अब उसे पूरी तरहसे अपनी सीमा में मिलाने की मंशा रखता है। नेपाल का गांव रुई अब चीन के स्वायत्त वाले तिब्बत के कब्जे में आ गया है। 72 घरोंवाले इस गांव में चीनी सेना ने जबरदस्ती घुसपैठ कर कब्जा किया था लेकिन अब नेपाल की सरकार इसे छुपा रही है। नेपाल अभीभी रुई गांव को अपने मानचित्र में दिखाती है परंतु, वह क्षेत्र पूरी तरह से चीन के नियंत्रण में है।
नेपाल की सरकार ने नेपाली जनता को धोखा देने की हर मुमकिन कोशिश की है। यही कारण है कि अब नेपाली जनता का ध्यानभटकाने के लिए नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार भारत के क्षेत्रों को अपने क्षेत्र में दिखा कर विवाद पैदा करना चाहती है।
वह दिन दूर नहीं जब नेपाल को चीन के नाम से ही जाना जाने लगेगा
चीन ने नेपाल की सिर्फ जमीन ही नहीं हड़पी है, बल्कि उसे बीआरआई के नाम पर इनफ्रास्ट्रक्चर बनाने का लालच दे कर अपने कर्जके जाल में भी फंसा चुका है। जिस तरह से चीन धीरे–धीरे कर नेपाल को अपनी सीमा में मिलाता जा रहा है, और वहां की राजनीतिको अपने हिसाब से नियंत्रित कर रहा है, उससे तो यही लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं, जब नेपाल को चीन के नाम से ही जानाजाने लगेगा, जैसे तिब्बत को अब जाना जाता है।
डॉ. लोबसांग सांगेय का कहना कि चीन ऐसी ही मंशा रखता है।जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया था, तब माओत्से तुंग और अन्यचीनी नेताओं ने कहा था कि तिब्बत वह हथेली है जिस पर हमें कब्जा करना चाहिए।फिर हम पांचों उंगलियों पर भी जाएंगे। पहलीउंगली लद्दाख की है। अन्य चार नेपाल, भूटान, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश हैं।
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