पटना: बिहार सरकार ने मंगलवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में जाति आधारित गणना की पूरी रिपोर्ट पेश कर दी, जिसमें सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े भी शामिल हैं। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जाति आधारित गणना की पूरी रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा। सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
बिहार में परिवारों की आवासीय स्थिति की रिपोर्ट के मुताबिक, 36.76 फीसदी परिवार ऐसे हैं जिनके पास पक्का मकान है। वहीं 22.37 फीसदी परिवार एक कमरे वाले पक्का मकान में गुजर बसर कर रहा है। इसके अलावा 26.54 फीसदी परिवार ऐसे हैं जो कि खपरैल/टीन छत वाले आवास में रहते हैं। साथ ही 14.9 फीसदी परिवार झोपड़ी में रहते हैं। वहीं 0.24 फीसदी परिवार आवासहीन हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की एक तिहाई से ज्यादा आबादी गरीब है। करीब 34.13 प्रतिशत परिवारों की मासिक आमदनी मात्र 6 हजार रुपए और 6 हजार से 10 हजार रुपए प्रति महीना वाले परिवारों की संख्या 29.61 प्रतिशत बताई गई है। यानी राज्य में 10 हजार रुपए प्रति महीना तक की आदमनी वाले परिवारों की संख्या 63 फीसदी से ज्यादा है।
इसी तरह 10 हजार से ज्यादा लेकिन 20 हजार प्रति माह से कम आमदनी वाले परिवारों की संख्या 18.06 प्रतिशत है। 20 हजार से 50 हजार मासिक आमदनी वाले परिवार 9.83 प्रतिशत हैं। वहीं, 50 हजार से ज्यादा कमाने वाले परिवारों का प्रतिशत मात्र 3.90 है। सर्वे के मुताबिक राज्य के 4.47 प्रतिशत परिवारों ने अपनी आय की जानकारी नहीं दी।
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