पटना: पटना समेत बिहार के कई शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर खासकर चार महीने तक नियंत्रण से बाहर रहता है। इसके समाधान के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से तैयार की गई ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद नई दिल्ली द्वारा मंजूरी दे दी गई है। पर्षद के अध्यक्ष डीके शुक्ला ने बताया कि मानवजनित कारकों की पहचान कर आपातकालीन उपाय किए जाएंगे। मानव स्वास्थ्य के साथ किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा।
पटना, गया और मुजफ्फरपुर शहरों में इस बार वायु प्रदूषण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से सख्ती से निगरानी की जाएगी। सूबे के अन्य शहरों के लिए बनाए गए एक्शन प्लान को सभी जगह लागू किया जाएगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से भेजे गए एक्शन प्लान को संशोधन के साथ मंजूरी दी गई है। संशोधन के तहत तीनों शहर में मानव जनित कारणों की पहचान करनी है। वायु प्रदूषण क्यों बढ़ रहा है और इसका स्रोत क्या है। यह जानना ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन का मुख्य हिस्सा होगा।वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन से रखी जाएगी नजर:
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पटना राजधानी क्षेत्र में छह प्रमुख स्थलों पर स्वचालित वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन बनाए गए हैं। प्रत्येक स्टेशन द्वारा प्रत्येक दिन जारी आकड़ों के आधार पर उस स्टेशन के आस-पास के क्षेत्र में वायु प्रदूषण के स्रोत की जानकारी ली जाएगी। प्रदूषण के कारण का पता चलने पर उसका समाधान किया जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डीके शुक्ला ने कहा कि वायु प्रदूषण फैलाने में अगर निर्माण कार्य एक स्रोत के रूप में सामने आता है तो इस बार कुछ अवधि के लिए निर्माण कार्य बंद भी कराया जाएगा। पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में दो फैक्ट्री को क्लोजर नोटिस भी दिया गया है। औद्योगिक क्षेत्र में सिर्फ सीएनजी का ही प्रयोग करना है। कोयला या वैसे ईंधन जो वायु प्रदूषण फैलाते हों उनपर रोक लगायी जा चुकी है।अक्टूबर से जनवरी तक वायु प्रदूषण ज्यादा :
जाड़े का मौसम आते ही शहरों की हवा खराब होने लगती है। अक्टूबर महीने से वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। शहर के परीवेशीय वायु में धूलकण की मात्रा मानक से अधिक हो जाता है। पटना का राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक करीब 120 दिनों तक खराब से बहुत खराब श्रेणी में बना रहता है। इसका सबसे बड़ा कारण मानव जनित प्रदूषण ही होता है। शहर में वायु प्रदूषण का मुख्य करण पीएम10 और पीएम 2.5 की मात्रा मानक से अधिक होना है। शहर में निर्माण कार्य के दौरान पर्यावरणीय नियमों का पालन करने में लापरवाही बरती जाती है।
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