पटना: बिहार में विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को लेकर राजभवन एवं सरकार के बीच हुए टकराव बाद अब राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर ‘डंडा’ चलाया है। राज्यपाल सचिवालय ने सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों को कहा है कि वह केवल राजभवन द्वारा जारी निर्देशों का ही पालन करेंगे, किसी अन्य स्तर पर जारी दिशा-निर्देश का नहीं। राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंगथू ने इस संबंध में सभी कुलपतियों को पत्र भेजा है।
कुलपतियों को लिखे गए पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि राजभवन अथवा राज्यपाल सचिवालय को छोड़ किसी अन्य द्वारा विश्वविद्यालय को निर्देश देना उनकी स्वायत्तता के अनुकूल नहीं है। ऐसा देखा जा रहा है कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता की अनदेखी करते हुए भी किसी अन्य द्वारा निर्देश दिया जा रहा है। यह बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसलिए सिर्फ और सिर्फ राज्यपाल सचिवालय द्वारा जारी निर्देशों का ही कुलपति समेत विश्वविद्यालय के अन्य तमाम अधिकारी पालन करना सुनिश्चित करेंगे।
इस संबंध में राजभवन द्वारा वर्ष 2009 में भी कुलपतियों को निर्देश जारी किया गया था। कुलपतियों को भेजे गए पत्र में 2009 के निर्देश की भी चर्चा की गई है। मालूम हो कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को लेकर कुछ दिनों पहले ही राजभवन और शिक्षा विभाग में मतभेद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। केके पाठक ने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति और प्रोवीसी का वेतन रोक दिया था। इस आदेश पर राजभवन ने रोक लगा दी थी।
वीसी नियुक्ति पर नीतीश सरकार और राजभवन के बीच हुआ था टकराव
केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने पांच विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर दिया था। जबकि राजभवन की ओर से पहले इसकी प्रक्रिया शुरू की जा चुकी थी। दो अलग-अलग विज्ञापन आने से आवेदक भी कंफ्यूज हो गए थे। नीतीश सरकार और राजभवन में टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर से मुलाकात की। फिर शिक्षा विभाग ने अपना विज्ञापन वापस ले लिया।
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