पटना: पटना मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के सभी स्टेशन और डिपो में बेहतर समन्वय व संचार के लिए सर्वोत्तम कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) प्रणाली को अपनाया जाएगा। इससे यात्रियों को सफर में काफी आसानी होगी. इस प्रणाली के ऑटोमेटिक स्पीड रेगुलेशन के कारण अनावश्यक रूप से गति बढ़ाने और ब्रेक लगाने की जरूरत नहीं होगी। इससे ऊर्जा की बचत भी होगी और सफर में अनावश्यक झटके भी नहीं लगेंगे। इस प्रणाली के अंतर्गत ट्रेनों कें संचालन और रियल टाइम निगरानी शामिल होने से दुर्घटनाओं व मेट्रो ट्रेनों में टक्कर को रोकने में भी मदद मिलती है।
बता दें कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन यानि डीएमआरसी के अधिकारियों के मुताबिक सीबीटीसी एक अत्याधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली है, जो मेट्रो रैपिड ट्रांजिट सिस्टम में ट्रेन संचालन प्रबंधन में सहायक है. इस संचार प्रणाली में कंट्रोल सेंटर और ट्रेन के बीच वायरलेस प्रणाली से सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। इसमें ट्रेनों के सिस्टम में किसी तरह की खराबी की जानकारी ऑटोमेटिक रूप से मिल जाती है. सीबीटीसी के द्वारा ट्रेनों की आवाजाही की संख्या और गति को बढ़ाया जा सकता है. इससे कम समय में अधिक यात्रियों को ले जाना संभव हो सकेगा. फिलहाल, यात्रियों को पटना में मेट्रो का बेस्रबी से इंतजार है।
इस कॉरिडोर के तीन स्टेशन आइएसबीटी, खेमनीचक और भूतनाथ रोड के लिए क्रॉस आर्म के इरेक्शन का कार्य शुरू हो गया जबकि एक अन्य स्टेशन मलाही पकड़ी में क्रॉस आर्म के इरेक्शन की तैयारियां चल रही हैं. क्रॉस आर्म मेट्रो स्टेशन तैयार करने के लिए लगाये जाते हैं. वहीं अब यह बात सामने आई है कि स्टेशन और डिपो में बेहतर समन्वय व संचार के लिए सर्वोत्तम कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) प्रणाली को अपनाया जा रहा है. इससे लोगों को और बेहतर सुविधा मिलेगी।
इस प्रणाली में ऑटोमेटिक स्पीड रेगुलेशन होगा. इसमें मेट्रो में बिना जरुरत के गति बढ़ाने और ब्रेक लगाने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी. साथ ही इस कारण ऊर्जा को भी बचाया जा सकेगा. दुर्घटना और टक्कर को भी रोकने में सहायता मिलेगी. क्योंकि, इस प्रणाली के जरिए ट्रेनों के संचालन और रियल टाइम निगरानी भी संभव हो सकेगा. इस तरह से यात्री एक सुरक्षित सफर का अनुभव कर सकेंगे. सीबीटीसी एक अत्याधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली है और यह ट्रेन के संचालन में सहायक है. कंट्रोल सेंटर और ट्रेन के बीच सूचना भेजना भी काफी आसान होगा. साथ ही यह एक वायरलेस प्रणाली होगी. मतलब इसमें किसी तार का इस्तमाल नहीं किया जाएगा. इससे ट्रेनों की आवाजाही की संख्या और गति को बढ़ाया जा सकेगा.
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