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बिहार की मछलियों का स्वाद चखेंगे देशवासी, जानिए क्यों खास हैं किशनगंज की मछलियां

किशनगंज: अब किशनगंज की महानंदा नदी से पकड़ी गई देसी मछलियों का स्वाद देश भर के लोग चख सकेंगे। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत देश भर में चलाये जा रहे रिवर रैंचिंग कार्यक्रम में बिहार से एक मात्र किशनगंज जिले का चयन हुआ है। इससे न सिर्फ किशनगंज के मछुआरों को देश स्तर पर पहचान मिलेगी बल्कि यहां के मछुआरे आर्थिक रूप से संपन्न भी हो सकेंगे। इसके साथ-साथ नदी के जल की गुणवत्ता भी सुधरेगी और नदियों की बायोडाइवर्सिटी भी बरकरार रहेगी। इसके अलावा मछलियों का उत्पादन भी बढ़ेगा। इसको लेकर मुजफ्फरपुर के मुतलुपुर स्थित बाबा हैचरी को फिंगर लिंग्स तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है।

महानंदा में अचानक दिखने लगी बड़ी-बड़ी मछलियां पकड़ने को नदी में उतरे  सैकड़ों लोग - Big fish suddenly started appearing in Mahananda hundreds of  people descended into the river to catch

 

महानंदा में विलुप्त हो रही मछली की प्रजाति को आबाद करने की तैयारी

दरअसल, महानंदा नदी में विलुप्त हो रही मछलियों को आबाद करने को लेकर सरकार की तैयारी चल रही है। आनेवाले दिनों में महानंदा नदी से देसी मछलियों की प्रजाति रोहु और कतला का भी उत्पादन होगा। रिवर रैंचिंग योजना से किशनगंज से कटिहार तक बह रही महानंदा नदी की पहचान वाली मछलियों की प्रजातियों का विकास किया जाएगा। योजना के तहत किशनगंज में महानंदा नदी से मत्स्य विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में रोहु व कतला के ब्रुडर्स का कलेक्शन किया गया है। मत्स्य हैचरी में इसकी ब्रीडिंग कराई जाएगी। जहां फिंगर लिंग्स तैयार होने के बाद इसे महानंदा नदी में छोड़ा जाएगा, ताकि अच्छी मछलियों की प्रजाति नदी में तैयार हो सके।

मछुआरों को 15-15 सौ रुपये देगी राज्य व केंद्र सरकार

यह योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा का ही हिस्सा है। इसमें जून से अगस्त तक तीन महीने मछुआरों को 15 सौ रुपये की आर्थिक सहायता दी जानी है। किशनगंज में जून माह की सहायता राशि 15 सौ रुपए मछुआरों के खाते में भेज दी गई है। दरअसल 15 जून से 15 अगस्त तक मछलियों के ब्रीडिंग का समय होता है। इस अवधि में नदियों में शिकारामाही पर प्रतिबंध रहता है। ऐसे में मछुआरों की आय प्रभावित हो सकती है। इसको देखते हुए सरकार की ओर से तीन महीने तक 15 सौ रुपए सहायता राशि देने की शुरुआत इस वर्ष से की गयी है। इसमें 15 सौ रुपए केंद्र सरकार और 15 सौ रुपए राज्य सरकार की तरफ से मिलते हैं। 15 सौ रुपए मछुआरा को स्वयं लगाना होता है।

15 जून से 15 अगस्त तक मछलियों की ब्रीडिंग का समय

इस बाबत किशनगंज के मत्स्य प्रसार पदाधिकारी राजेश रंजन ने बताया कि मछलियों की घटती जनसंख्या से मत्स्यजीवी समुदाय का जीविकोपार्जन भी प्रभावित हुआ है। उनकी स्थिति सुधारने के लिए नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड, हैदराबाद के माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत रिवर रैचिंग कार्यक्रम में बिहार से किशनगंज जिले को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि रिवर रैंचिंग कार्यक्रम के क्रियान्वयन से मछुआरों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान तथा मत्स्य शिकारमाही पर आश्रित मछुआरों के वार्षिक आय में वृद्धि हो सकेगी। छोटे आकार के मत्स्य बीज को संरक्षण प्रदान किया जाएगा। चार सेंटीमीटर से कम फसाजाल का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इन्होंने बताया कि 15 जून से 15 अगस्त तक मछली की ब्रीडिंग का समय होता है। इसलिए इस अवधि में राज्य सरकार द्वारा नदियों में शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाया गया है।

 

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