किशनगंज: बिहार के किशनगंज जिला सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बन गया है। यहां हिन्दुओं के पर्व-त्योहार में मुस्लिम धर्मावलंबी शामिल होते हैं तो मुस्लिमों के खुशी और गम में हिन्दू धर्मावलंबियों की सहभागिता दिखती है। किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड की कस्बा कलियागंज पंचायत का सेठाबाड़ी गांव इसकी बानगी पेश कर रहा है। शहादत का प्रतीक मुहर्रम पर्व 20 से 29 जुलाई तक मनाया जा रहा है।
किशनगंज में सालों से चल रहा यह सिलसिला
दरअसल, 29 जुलाई को मुसलमान धर्मावलंबी मा’तम का त्योहार मनाएंगे। सेठाबाड़ी गांव में इन दिनों हिन्दू महिला कलाकार मुसलमानों के लिए ताजिया का निर्माण कर रही हैं। अपनी कुशल कारीगरी से ताजिया को आकर्षक लुक दे रही हैं। इन्हीं के बनाये ताजिये खरीदकर मुस्लिम समुदाय के लोग मुहर्रम की दसवीं तारीख को करबला में चढ़ाते हैं। यह सिलसिला यहां सालों से चला आ रहा है। इन ताजियों का निर्माण कलाकार एक महीने पहले से ही करने लगते हैं। एक ताजिये की कीमत एक से डेढ़ सौ रुपये तक होती है।
20 से 29 जुलाई तक मनाया जा रहा मुहर्रम
मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए शहादत का प्रतीक मुहर्रम पर्व 20 से 29 जुलाई तक मनाया जा रहा है। इस बार मुहर्रम की दसवीं तारीख यानी 29 जुलाई को यौम-ए-आशूरा के रूप में मनाई जाएगी। इसको लेकर पोठिया प्रखंड क्षेत्र में चहल-पहल बढ़ गई है। यहां मेले-सा नजारा है। पोठिया प्रखंड क्षेत्र में वैसे तो दर्जनों स्थानों पर मुहर्रम का जुलूस निकाला जाता है। लेकिन कस्बा कलियागंज पंचायत के सेठाबाड़ी गांव में मुहर्रम के मौके पर तीन दिवसीय मेला खास होता है। इसका आयोजन स्थानीय ग्रामीण ही करते हैं।
सालों पूर्व हुआ था मुहर्रम स्थल का निर्माण
सेठाबाड़ी गांव के मो. लाल मियां व मो.शकुर बताते हैं कि मुहर्रम में ताजिया तथा नियाज का चढ़ावा चढ़ाने के लिए मुहर्रम स्थल का निर्माण वर्षो पूर्व कराया गया था। यहां प्रखंड क्षेत्र के अलग-अलग गांवो से मुस्लिम व हिन्दू समुदाय के लोग पहुंचते हैं। उनका कहना था कि जब से उन्होंने होश संभाला है, तभी से यहां सांप्रदायिक सौहार्द की यह मिसाल देखते आ रहे हैं। हालांकि यह परंपरा कितने सालों से चली आ रही है, यह वे नहीं बता पाये।
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