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बिहार में बन रहा दुनिया का सबसे बड़ा रामायण मंदिर, 270 फीट होगा ऊंचा , जानिए कब कर सकेंगे दर्शन

मोतिहारी: अयोध्या से जनकपुर तक बन रहे राम जानकी मार्ग पर पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया-चकिया पथ पर स्थित कैथवलिया-बहुआरा में विराट रामायण मंदिर का निर्माण में तेजी आ गई है। अभी मंदिर की नींव (पीलर) का काम चल रहा है। मंदिर फाउंडेशन (जमीन के नीचे) के निर्माण में 3201 पीलर तैयार करना है। इसके लिए 1050 टन स्टील और 15 हजार क्यूबिक मीटर कंक्रीट की खपत संभावित है। इस काम को छह महीने के अंदर पूरा करने का लक्ष्य है। मंदिर निर्माण से जुड़े इंजीनियर बताते हैं कि दिसंबर 2023 तक मंदिर का फाउंडेशन कार्य पूरा होगा और सतह पर निर्माण कार्य दिखने लगेगा।

ramayana temple being built in bihar is largest in world construction work  will start from today yyy | बिहार में बन रहा विश्व का सबसे बड़ा विराट रामायण  मंदिर, आज से शुरू

2025 तक पूरा होगा मंदिर निर्माण
पीलर ढालने के काम में तेजी लाने के लिए मंदिर परिसर के नजदीक बैचिंग प्लांट लगाया जा रहा है। इसके लगने के बाद यहां प्रतिदिन दो सौ मजदूर काम करेंगे। फिलहाल पीलर ढालने के काम में सौ मजदूरों के साथ निर्माण एजेंसी के 22 इंजीनियरों सहित लगभग 60 लोगों की टीम लगी हुई है। मंदिर निर्माण के लिए महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा पहले ही बजट की व्यस्था की जा चुकी है। न्यास समिति के सचिव किशोर कुणाल ने बताया है कि मंदिर निर्माण पर इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में 80 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है। मंदिर का निर्माण वर्ष 2025 के सावन तक पूरा होगा। इसकी साज-सज्जा 2027 तक संभावित है। इसका निर्माण कार्य 20 जून से शुरु किया गया है।

मंदिर परिसर में होंगे 22 मंदिर
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि निर्माणाधीन मंदिर में शैव और वैष्णव देवी-देवताओं के कुल 22 मन्दिर होंगे। मंदिर का क्षेत्रफल 3.67 लाख वर्गफुट होगा। सबसे ऊंचा शिखर 270 फीट का होगा। इसके बाद 198 फीट का एक, 180 फीट के चार, 135 फीट के एक, 108 फीट के 5 शिखर बनेंगे। मंदिर की लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट होगी। मंदिर जानकी नगर के रूप में विकसित होगा। यहां कई आश्रम, गुरुकुल, धर्मशाला भी बनाए जाएंगे।

विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग
मंदिर परिसर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना होगी। इसके लिए महाबलिपुरम में 250 टन वजन का ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। काले ग्रेनाइट की चट्टान से बने 33 फीट ऊंचे और 33 फीट गोलाई के 210 टन वजनी विशाल शिवलिंग कर निर्माण कराया जा रहा है। बताते चले कि आठवीं शताब्दी के बाद सहस्रलिंगम का निर्माण भारत में नहीं हुआ है। मंदिर के साथ ही वर्ष 2025 तक यहां शिवलिंग स्थापित किया जाएगा। दक्षिण भारत से शिवलिंग को मंदिर परिसर तक सड़क मार्ग से लाने की योजना है।

कंबोडिया की आपत्ति से व्यवधान
कंबोडिया कंबोडिया की सरकार की आपत्ति के कारण विराट रामायण मंदिर का काम बीते पांच सालों से शुरू नहीं हो सका था। कंबोडिया सरकार ने मंदिर के पहले के नाम विराट अंकोरवाट मंदिर पर वर्ष 2012 में आपत्ति जताई थी। आपत्ति के बाद महावीर मंदिर न्यास ने मंदिर का नाम विराट रामायण मंदिर कर दिया। बाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने रामायण मंदिर का निर्माण अंकोरवाट मंदिर से अलग होने की रिपोर्ट के बाद मामला सुलझा। निर्माण के लिए अनापत्ति नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से भी मिल चुकी है।

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