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पापा सब समझते थे, राहुल की नासमझी की सजा आज विपक्षी चुका रहे हैं; सांसदी जाने पर लालू की बेटी रोहिणी बोलीं

पटना:  मोदी सरनेम को लेकर विवादित बयान देकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कोर्ट से दो साल की सजा मिलने के बाद उनकी लोक सभा से सदस्यता समाप्त कर दी गई। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने ट्वीट कर इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से वंचित किए जाने पर पूरा राजद के साथ खड़ा है शुक्रवार को कांग्रेस के साथ राजद के सभी विधायकों ने विधानसभा में सदन से लेकर बाहर तक हंगामा प्रदर्शन किया और केंद्र कि नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। रोहिणी ने राहुल गांधी को उनके दस साल पुराने एक कड़क एक्शन की याद दिलाई है।

पापा सब समझते थे, राहुल की नासमझी की सजा आज विपक्षी चुका रहे हैं; सांसदी जाने पर लालू की बेटी रोहिणी बोलीं

रोहिणी आचार्य ने ट्वीट करके लिखा है कि राहुल गांधी जी नासमझी के शिकार हो गए। वे  जाने अनजाने में ही ऐसी गलती कर बैठे जिसकी सजा आज देश के विपक्षी दलों के नेताओं को मिल रही है।  झूठे केस मुकदमों के जाल में उलझ कर अपनी सदस्यता गंवानी पर रही है। रोहिणी ने अपने पापा लालू प्रसाद यादव की चर्चा की है। उन्होंने लिखा था कि पापा भाजपा का चाल चरित्र समझते थे। पापा को पहले से इस बात का एहसास था कि अगर भूल से भी भाजपा सत्ता में आई तो अध्यादेश के बल पर देश के लोकतंत्र को कुचल देगी और आज वही हुआ। रोहिणी आचार्य ने 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लाए गए एक अध्यादेश की ओर इशारा किया है जिसका राहुल गांधी ने कड़ा विरोध किया था। उन्होंने अध्यादेश को फाड़ दिया था।

 

राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त करने संबंधित क्षेत्र की ओर इशारा करते हुए रोहिणी आचार्य ने कहा है कि यह इम्तिहान की घड़ी है। देश के लोकतंत्र जो खतरे में पड़ी है। वक्त बदलते देर नहीं लगती। कौन जानता था कि जिस प्रभु श्री राम को अयोध्या का सिंहासन मिलने वाला था वो वनवासी के रूप में वन चले जाएंगे।  दरअसल वर्ष 2013 के सितंबर माह में मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार एक अध्यादेश लाई थी। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उस अध्यादेश के को फाड़ दिया था और यूपीए सरकार को अध्यादेश वापस लेना पड़ा था।  2013 के जुलाई महीने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक आदेश पारित किया गया था। अपने फैसले में अदालत ने 2 साल या उससे अधिक की सजा दिए जाने पर सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द कर देने का प्रावधान किया था।  सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(4) को रद्द कर दिया था।

 

UPA सरकार के अध्यादेश का मकसद यह था कि सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश को निष्क्रिय कर दिया जाए। उसी समय चारा घोटाला के मामलों को लेकर राजद सुप्रीमो लालू यादव की संसदीय योग्यता पर तलवार लटक रही थी। बीजेपी और विपक्षी पार्टियों ने सरकार के अध्यादेश का जमकर विरोध किया किया। कहा गया कि लालू यादव और अन्य भ्र’ष्टाचारियों को बचाने के लिए सरकार अध्यादेश ला रही है। राहुल गांधी ने उसी अध्यादेश को गलत बताते हुए फाड़ दिया था।

उस समय राहुल गांधी ने कहा था कि राजनीतिक कारणों से कोई अध्यादेश लाने के लिए कोई जरूरत नहीं है। हर दल यही करता है। कांग्रेस ऐसा नहीं करेगी। अब यह बंद होना चाहिए। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी भी लिखी थी। आज कहा जा रहा है कि राहुल गांधी अध्यादेश के प्रति नहीं फाड़ते तो वह लागू हो जाता और उनमें आज अपनी संसद की सदस्यता से हाथ में धोना पड़ता।

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