छपरा: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काम करने का तरीका देशभर में जाना जाता है. बिहारवासियों को भी इनका काम काफी पसंद आता है, बिहार में नरेन्द्र मोदी की जाति को कोई भी नहीं है फिर भी उन्हें यहां से वोट मिलते है. यह बातें चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने छपरा में सुराज पदयात्रा के दौरान कहीं. प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लोग सिर्फ जाति पर वोट नहीं देते हैं. बिहार में नरेन्द्र मोदी की जाति का कोई भी नहीं है, फिर में राज्य से उनको काफी संख्या में वोट मिलते है. साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार में रहने वाले लोगों को पढ़ाई, कमाई और दवाई तीनों के लिए मजबूरी में अन्य राज्यों में जाना पड़ रहा है. प्रशांत ने सारण जिले में अपनी पदयात्रा के 163वें दिन कहा कि जाति चुनाव में एक तथ्य है और चुनाव में केवल वोट जाति के नाम पर नहीं पड़ती है. यहां पर कुल 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं और बिहार में रहने वाले लोग कभी जाति के नाम पर वोट नहीं डालते है।
पीएम मोदी को इस वजह से मिलते है वोट
बिहार के अंदर अगर जाति ही महत्वपूर्ण होती तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राज्य से एक भी वोट नहीं मिलता. बिहार में उनकी जाति को कोई भी नहीं है. यही बात प्रमाणित है कि बिहार में रहने वाले लोग जाति के नाम पर वोट नहीं देते है. बिहार के लोग मोदी को किसी और कारण से मिलते है. दरअसल, बता दें कि मोदी को उनके राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, भारत और पाकिस्तान के नाम पर वोट मिलते है. उनको वोट मिलने का मात्र एक यही कारण है।
शिक्षा और रोजगार है पलायन कर रहे लोग
प्रशांत किशोर ने कहा कि सुराज पदयात्रा के दौरान बिहार के कई गांव का दौरा किया. गांव के लोगों से जानकारी मिली की 40 से 50 प्रतिशत युवा शिक्षा और रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं. अगर युवाओं को बिहार में ही बेहतर शिक्षा और रोजगार मिले तो वो राज्य छोड़कर नहीं जाएंगे.
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