छपरा नगर निगम की मेयर राखी गुप्ता मुश्किल में घिर गई हैं और उनकी कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। दो से अधिक बच्चों के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने राखी गुप्ता को 17 मार्च को सुनवाई और अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया है। ऐसे में अगर पूर्व मेयर सुनीता देवी और अन्य लोगों द्वारा लगाए गए आरोप सही साबित होते है तो राखी गुप्ता की कुर्सी तो जाएगी ही साथ ही साथ वे कानूनी कार्रवाई के दायरे में आ जाएंगी। उनके साथ ही चुनाव कार्य से जुड़े अधिकारी और कर्मी भी कार्रवाई के दायरे में आ जाएंगे।
जारी नोटिस में आदेश
राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्य पदाधिकारी द्वारा जारी नोटिस में यह कहा गया है कि सुनीता देवी पति शत्रुघन राय नगरपालिका चौक छपरा द्वारा लगाए गए आरो’प की सुनवाई 17 मार्च को निर्धारित की गई है। इस तारीख को आकर राखी गुप्ता जो कि वर्तमान में है। अपना पक्ष रखें और हर बिंदु पर जवाब दें। विशेष कार्य पदाधिकारी ने इस बीच जिला निर्वाचन पदाधिकारी नगर पालिका को आदेशित करते हुए कहा है कि सुनीता देवी द्वारा लगाए गए सभी आरोपों की जांच करते हुए और अपना मंतव्य देते हुए 14 फरवरी तक रिपोर्ट कार्यालय को उपलब्ध कराएं ताकि आगे की जांच की जा सके।
नगरपालिका चुनाव के दौरान भी राखी गुप्ता के विरोधियों ने उनके दो से अधिक बच्चे होने के आरोप लगाए थे, लेकिन तब इसे तथ्यों के साथ प्रमाणित नहीं किया जा सका था। अब, विरोधी नए सिरे से पुन: सक्रिय हो गए हैं। हालांकि, आयोग सूत्रों ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया और कहा कि जांच और सुनवाई के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
यह है पूरा मामला
दरअसल पूर्व मेयर सुनीता देवी और अन्य ने चुनाव के पहले ही राखी गुप्ता पर दो से अधिक बच्चे होने का आरोप लगाते हुए चुनाव लड़ने से वंचित करने की मांग की थी। एक अन्य प्रत्याशी रीना यादव ने भी चुनाव अधिकारियों से राखी गुप्ता पर कार्रवाई की मांग की थी, कई आवेदन भी पड़े थे। साथ ही साथ शिकायत करने वाले भी ठीक ढंग से दावा पेश नहीं कर पाए थे, आरोपों से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कर पाए थे।
अब शिकायतकर्ता को कुछ नए कागजात हाथ लगे हैं जिसमें राखी गुप्ता को तीन संतान होने के स्पष्ट प्रमाण सामने आ रहे हैं जिसमें तीसरे संतान को दत्तक पुत्र के रूप में दूसरे को देने की बात कही गई है। इसके रजिस्टर्ड कागजात जिनमें राखी गुप्ता और उनके पति वरुण प्रकाश समेत अन्य गवाहों के भी फोटो दर्शाए गए हैं।
क्या कहता है प्रावधान?
दरअसल बिहार नगर निकाय चुनाव कानून 2007 में प्रावधान है कि जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं वो चुनाव नहीं लड़ सकते। बिहार में 2012, 2017 और 2022 का नगर निकाय चुनाव इस नियम के साथ हुआ है। नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट को शपथ पत्र देकर यह बताना होता है कि उनके दो ही बच्चे हैं। चुनाव के बाद भी अगर कोई शिकायत करता है या कोई आवेदन करता है तो ऐसे कैंडिडेट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है।
बताया जाता है कि चुनाव के इस नियम को चकमा देने के लिए कुछ लोग दो से ज्यादा बच्चे होने की सूरत में एक्स्ट्रा बच्चा को गोद में किसी और को दिया हुआ दिखाते थे जो असल में कागजी खेल होता था। इसके मद्देनजर आयोग का यह साफ निर्देश कि बच्चे जैविक आधार पर गिने जाएंगे, जो काफी महत्वपूर्ण है।
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