पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने शरा’बबंदी पर ढील देने की मांग की है। उन्होंने नीतीश सरकार से बिहार में शरा’बबंदी का गुजरात मॉडल लागू करने की मांग उठाई है। मांझी ने कहा कि गुजरात की तरह बिहार में भी लोगों को परमिट के जरिए शरा’ब मुहैया कराई जाए।
उन्होंने अपनी ही महागठबंधन सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य में शरा’बबंदी कानून लागू करने में गड़बड़ी हो रही है। गरीबों को प्रता’ड़ित किया जा रहा है। नए साल में श’राबबंदी सही से लागू होनी चाहिए। बता दें कि मांझी लगातार शरा’बबंदी के मसले पर नीतीश कुमार पर सवाल उठा रहे हैं। इससे पहले भी वे ताड़ी को शरा’बबंदी से बाहर करने की मांग कर चुके हैं।
हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के मुखिया जीतनराम मांझी ने शुक्रवार को कहा कि गुजरात में भी शरा’बबंदी है, लेकिन वहां इस तरह की बातें नहीं हो रही है। वहां सब जगह लिमिट है और कहीं जरूरत है तो परमिट के साथ श’राब मिल जाती है। उसी तरह से बिहार में भी होना चाहिए। यहां लोग आनन-फानन में शरा’ब बनाते हैं और वो जह’रीली बन जाती है। उसे लोग पीकर म’र जाते हैं।
मांझी ने कहा कि शरा’बबंदी अच्छी चीज है, लेकिन बिहार में इसे जिस तरह से लागू किया गया है उससे परेशानी हो रही है। शरा’बबंदी के नाम पर गरीबों को प्रता’ड़ित किया जा रहा है। पुलिस गांवों में घुसकर गरीबों को शरा’ब के फर्जी केस में पकड़कर उन्हें जेल भिजवा रही है। श’राब के बड़े त’स्करों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
मांझी के घर पर लिट्टी भोज में पहुंचे नीतीश
जीतनराम मांझी ने शुक्रवार शाम अपने आवास पर लिट्टी भोज का आयोजन किया। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत महागठबंधन के अन्य नेता शामिल हुए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करीब 30 मिनट तक मांझी के आवास पर रुके।
क्या है गुजरात मॉडल?
बिहार की तरह गुजरात में भी शरा’बबंदी कानून लागू है। हालांकि वहां विशेष परिस्थितियों में लोगों को श’राब पीने का परमिट मिलता है। यह परमिट स्वास्थ्य विभाग देता है। लोग स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर देश में बनी विदेशी श’राब पी सकते हैं। हालांकि, यह परमिट लेने के लिए कई नियम और लिमिट भी हैं।
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