उत्तर भारत में, खासतौर पर बिहार-झारखंड में छठ पर्व बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस पर्व पर देश के किसी भी कोने में रह रहे बिहार के लोग गांव जरूर लौटते हैं.
छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. वैसे इस उत्सव की शुरुआत चतुर्थी से हो जाती है और फिर सप्तमी को सूर्यदेव को जल-अर्घ्य देकर व्रत का पारण-समापन किया जाता है. यह भगवान सूर्य को समर्पित महापर्व है।
चार दिन का महापर्व
छठ पर्व में चार दिनों तक छठी माता और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है. छठ पूजा का व्रत काफी कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. छठ में व्रती महिलाएं 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. वे पारण के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर ही भोजन करती हैं. छठ पूजा का व्रत खरना के दिन से शुरू हो जाता है, इसलिए व्रती महिलाओं के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण होता है. छठ के दौरान छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है. इस वर्ष छठ पूजा 30 अक्टूबर को है.
मुस्लिम परिवार दशकों से कर रहा बद्धी माला तैयार
महापर्व छठ को लेकर लोग अपनी तैयारियों में जुट गए. वहीं दुकानदार भी जोर शोर से तैयारी कर रहे हैं. इसी कड़ी में अगर बात मुस्लिम परिवार की करें तो छठ पूजा में हर साल ये लोग भी अपना काफी योगदान देते है. भागलपुर का एक मुस्लिम परिवार दशकों से पवित्रता के साथ महापर्व छठ को लेकर बद्धी माला बना रहा हैं.
भागलपुर के हुसैनाबाद निवासी मोहम्मद आफताब आलम का पूरा परिवार बद्धी माला बनाता है. इतना ही नहीं हिंदुओं के त्योहार रक्षाबंधन में राखी और अनंत चतुर्दशी अनंत डोरा भी बनाते हैं. आफताब ने बताया कि उनका बना हुआ बद्धी माला भागलपुर, बांका, पूर्णिया और कटिहार समेत आस-पास के कई जिलों में भेजा जाता है. छठ पूजा में व्रती महिला इसका उपयोग करती हैं.
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