बिहार नगर निकाय चुनाव में ओबीसी और ईबीसी वर्ग के आरक्षण पर रोक के खिलाफ नीतीश सरकार ने पटना हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन यानी पुनर्विचार याचिका दाखिल की, जिसपर बुधवार को सुनवाई होगी। इस मुद्दे पर महागठबंधन सरकार और विपक्षी दल बीजेपी आमने-सामने हैं। दोनों एक-दूसरे पर आरक्षण को खत्म करने का आरो’प लगा रहे हैं। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।
बिहार में इसी महीने दो चरणों में नगर निकाय चुनाव होने थे। मगर हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में ओबीसी-ईबीसी आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के विरूद्ध मानते हुए इसपर रोक लगा दी थी। इस कारण राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव स्थगित करने पड़े।
अब नीतीश सरकार ने पटना हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि अदालत ओबीसी-ईबीसी आरक्षण पर रोक लगाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करे।
हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक क्यों लगाई?
पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने एक साथ 17 मामले पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में माना कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत बगैर ट्रिपल टेस्ट के ही पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दे दिया। जबकि आरक्षण देने के पूर्व राजनीतिक रूप से पिछड़ेपन वाली जातियों को चिन्हित किया जाना था। सरकार ने ऐसा नहीं कर सीधे आरक्षण दे दिया।
4 अक्टूबर को आए अदालत के फैसले में कहा गया कि निकाय चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षित की गई सीटों को अनारक्षित कर अधिसूचना जारी करें और फिर मतदान कराएं।
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