दुनियाभर में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बोधगया बेहद पवित्र स्थल है जहां हर साल लाखों बौद्ध अनुयायी आते हैं। इस मंदिर को महान जागृति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। महाबोधि मंदिर का निर्माण कब हुआ ये स्पष्ट नहीं है लेकिन मंदिर के आसपास कई जगहों पर सम्राट अशोक के काल के शिलालेख मिलते हैं जिससे अंदाजा लगाया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 232 ईसा पूर्व से भी पहले हुआ था।
कहा जाता है कि महाबोधि मंदिर परिसर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित पहला मंदिर है। महाबोधि मंदिर भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े चार सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। कहा जाता है कि ये वो स्थान है जहां भगवान बुद्ध को आत्म ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जिस वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी वो पेड़ आज भी मौजूद है और बौद्ध धर्म के अनुयायी लोगों के लिए बेहद पवित्र स्थल है।
महाबोधि मंदिर एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है। इस मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट पत्थरों द्वारा किया है। मंदिर की दीवारों पर धन की देवी मानी जाने वाली लक्ष्मी माता की मूर्ति के अलावा हाथी, मोर, फूल आदि कई चित्रे मौजूद हैं। मंदिर में घूमने का समय सुबह 5 बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच है। मंदिर परिसर में फोटोग्राफी और मोबाइल ले जाने की अनुमति नही है।
महाबोधि मंदिर घूमने के अलावा बोधगया में और भी कई एतिहासिक मंदिर है जहां लोग दर्शन करने जाते हैं। उनमें शामिल है जापानी मंदिर, डूंगेश्वरी गुफा और पुरातत्व संग्रहालय जहां लोग घूमने जाते हैं। वैसे तो साल भर महाबोधि मंदिर में लोग दर्शन करने आते हैं लेकिन अगर आप मौसम के लिहाज से देखें तो मार्च से अक्टूबर के बीच का यहां आने का सबसे अच्छा समय होता है। इसके अलावा बुद्ध जयंती के दिन यहां देश-विदेश से सैलानी आते हैं।
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