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कैसे पढ़ेंगी और बढ़ेंगी बेटियां: स्कूल के टूटे वाशरूम में न जाना पड़े, कम पानी पीती हैं लड़कियां

बिहार के सरकारी स्कूलों की हालत भगवान भरोसे ही है। पढाई, किताब, ड्रेस और मिड डे मील की बदतर हालत के अलावा स्कूलों में जरुरी सुविधाओं की भी व्यवस्था नहीं है। मंगलवार को आयोजित सशक्त बेटी समृद्ध बिहार कार्यक्रम में छात्रा ने बिहार के स्कूलों की पोल पट्टी खोल दी।

कैसे पढ़ेंगी और बढ़ेंगी बेटियां: स्कूल के टूटे वाशरूम में न जाना पड़े, कम पानी पीती हैं लड़कियां

महिला विकास निगम द्वारा आयोजित किये गए इस कार्यक्रम में छात्रा ने बताया कि स्कूल में वाशरूम की दीवार टूटी हुई है। वाशरूम जाने पर लड़के परेशान करते हैं। छात्रा ने बताया कि स्कूल में एक ही वाशरूम है और उसकी भी हालत बदतर है। उसने कहा कि स्कूल के वाशरूम में न जाना पड़े इसलिए लड़कियां बहुत कम पानी पीतीं हैं।

पलटकर सवाल करने लगीं हरजोत कौर

कार्यक्रम में समस्या बताते हुए छात्रा ने महिला विकास निगम की अध्यक्ष हरजोत कौर से अलग वाशरूम की बात कही तो हरजोत कौर उलटकर छात्रा से ही सवाल पूछने लगी। अव्यवस्था पर आश्वासन या जांच के आदेश देने के बजाय वरिष्ठ आईएएस हरजोत कौर ने छात्रा से पूछने लगी कि घर में अलग अलग टॉयलेट हैं। महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक ने इस बात को गंभीरता से न लेते हुए ये तक कह दिया कि हर चीज कब तक अलग अलग व्यवस्था की जाए।

स्कूल में नहीं हैं गर्ल्स वाशरूम की सुविधा

बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ योजना के तहत देश के सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय का प्लान बनाया गया है लेकिन आज भी बिहार के कई सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग वाशरूम की सुविधा नहीं है।

सरकारी स्कूलों की पोल खुलने के बाद सूबे के कई स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय न होने की तस्वीरें सामने आ रही हैं। किसी स्कूल में अगर अलग से शौचालय उपलब्ध भी है तो दीवार जर्जर हो चुकी हैं तो कहीं पर पानी ही नहीं आ रहा है।

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