बिहार इस साल बाढ़ और सूखे की दोहरी मा’र झेल रहा है। हालात ख’राब होने से मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। वे अपने परिवार के साथ दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। आलम ये है कि बिहार से अन्य राज्यों में जाने वाली ट्रेनें फुल चल रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन मजदूरों में नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं। इन मजदूरों को एकत्र करने का जिम्मा बिचौलिये ले रहे हैं और इसकी एवज में उन्हें कमीशन मिल रहा है।
मंगलवार की शाम 6 बजे बरौनी जंक्शन के प्लेटफार्म 7 से होकर गुजरने वाली 12577 दरभंगा-मैसूर बागमती सुपरफास्ट एक्सप्रेस में स्लीपर कोच में पांव रखने की जगह नहीं दिखी तो जनरल कोच की बात करनी भी बेमानी होगी। दरभंगा से खुलने वाली इस ट्रेन में मात्र दो स्टॉपेज बाद बरौनी स्टेशन पहुंचते-पहुंचते यात्रियों की इतनी भीड़ बढ़ गई कि बरौनी से जनरल टिकट लेकर यात्रा करने वाले दर्जनों यात्री यात्रा करने से वंचित रह गए।
त्योहार आने वाले हैं, लेकिन मजदूर गांव छोड़कर शहर जा रहे
इसका मुख्य कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ख’राब हालात हैं। हर रोज बड़ी संख्या में मजदूर बेंगलुरु, दिल्ली, पंजाब, सिकंदराबाद, हरियाणा, गुजरात, मुंबई आदि के लिए पलायन कर रहे हैं। इसी महीने सितंबर में दुर्गा पूजा महोत्सव शुरू होने वाला है। इसके बाद दीपावली और छठ पर्व है। अभी कामगारों का परदेस से कमा कर घर लौटने का सिलसिला शुरू होने का समय है।
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