रेलवे इंटेलिजेंस की सूचना पर कटिहार रेल पुलिस ने बांग्लादेश रिफ्यूजी कैंप से भाग कर आई छह लड़कियों को दो मानव त’स्कर के साथ कटिहार स्टेशन से गिर’फ्तार कर लिया है. इस मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं.
घटना के बारे में बताया जा रहा है 19 अगस्त को बांग्लादेश के दो रिफ्यूजी कैंप कुंडूक फलंग और थांग खाली से भागकर ये छह लड़कियां बांग्लादेशी एजेंट नाजिम उल्ला के माध्यम से असम के बदरपुर में पहुंची थीं. लगभग 10 दिन बदरपुर के जंगलनुमा एक घर में गुजारने के बाद 29 अगस्त को इन छह लड़कियों को 12 हज़ार रुपये में जम्मू कश्मीर तक पहुंचाने के काम भारत के दो मानव तस्कर गिरोह के गुर्गे के अंशुल हक़ और शमशुल हक से तय हुआ था.
यह दोनों संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन से इन लड़कियों को लेकर गौहाटी से भाया दिल्ली जम्मू कश्मीर जा रहे थे. पकड़े गए मानव तस्करों की मानें तो दिल्ली से इन लड़कियों को उन्हें दूसरे किसी के हवाले करना था. रोहिंग्या समुदाय से आने वाले यह छह लड़कियां बांग्लाभाषी हैं. ये न तो हिंदी समझ पाती और न ही बोल पाती हैं.
बांग्ला भाषा में सिर्फ यह लोग इतना ही कहती हैं कि इन लोगों को जम्मू कश्मीर में सिलाई कढ़ाई की काम देने की बात दलालों के द्वारा कही गयी थी. हालांकि सूत्रों की मानें तो भारत के महानगरों में इन दिनों हुस्न परोसने की जो बड़ा मंडी सजती है हो सकता है कि बाजार के डिमांड को देखते हुए इन लड़कियों को उसी सेक्स के रैकेट वाले बाजार के लिए लाया गया है.
रेल पुलिस इसकी पुष्टि नहीं कर रही हैं और अभी जांच प्रारंभिक दौर में होने की बात कहते हुए अधिकारी का स्तर पर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है. पकड़े गए दोनों दलालों ने अपने कबूल नामा में सभी लड़कियों के बांग्लादेश कैंप से भागकर भारत आने और उनके माध्यम से जम्मू कश्मीर तक पहुंचाने की बात को स्वीकार रहे हैं. फिलहाल यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि बॉर्डर में इतनी सुरक्षा के दावे के बावजूद कैसे छह लड़की एक देश से दूसरे देश में प्रवेश कर गईं.
लड़कियों की प्रारंभिक जांच में जितनी बातें सामने आ रही हैं, वह सही है या इसके पीछे और कोई बड़ा मकसद हो सकता है. फिलहाल अधिकारियों ने इस गंभीर मुद्दे पर इंटेलिजेंस के साथ मिलकर जांच शुरू कर दी है. रेल डीएसपी देवेंद्र कुमार ने कहा कि मामले से जुड़े तमाम पहलू के जांच के बाद ही कुछ साफ कहा जा सकता है.
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