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ईस्टर्न कॉरिडोर पर कामयाब रहा पहला ट्रायल, अब यह होगा आगे का प्लान

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन (DFCC) के ईस्टर्न कॉरिडोर लिंक लाइन पर पहला ट्रायल कामयाब रहा है. दो डीजल इंजन ने एक साथ लिंक लाइन पर फर्राटा भरा. ट्रायल लेने वाली टीम ने बीच-बीच में रुककर ट्रेक का जायजा भी लिया. दादरी से लेकर खुर्जा तक ट्रायल लेने के बाद इसे कामयाब बताया गया.

ईस्‍टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर: डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर क्या है, इसके  क्या फायदे हैं? - know-benefits-of-eastern-dedicated-freight-corridor |  Economic Times Hindi

अब 10 सितम्बर तक लिंक लाइन इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रायल किया जाएगा. 10 के बाद खाली मालगाड़ी दौड़ेंगी. पीएमओ ऑफिस से टाइम नहीं मिलने के चलते 15 अगस्त को होने वाला उद्घाटन टल गय. पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) को इसका उद्घाटन करना था. अब उद्घाटन की नई तारीख 30 सितम्बर तय की गई है. गौरतलब रहे अभी यह रूट दादरी (Dadri) से इलाहबाद तक काम करेगा.’

30 सितम्बर को लिंक लाइन को पीएम दिखा सकते हैं हरी झंडी

डीएफसीसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो बोड़ाकी रेल स्टेशन से खुर्जा तक की लिंक लाइन का काम लगभग पूरा हो चुका है. मेगा ब्लॉक लेकर बाकी के सभी छोटे-बड़े काम भी पूरे कर लिए गए हैं. दूसरी ओर ईस्टर्न कॉरिडोर की मेन लाइन का काम भी पूरा हो चुका है. सूत्रों का कहना है कि 30 सितम्बर को पीएम नरेन्द्र मोदी लिंक लाइन पर ट्रेन को हरी झंडी दिखा सकते हैं. करीब एक महीना पहले डीएफसीसी के अफसर मेन लाइन के साथ ही लिंक लाइन का भी रेल यान में बैठकर निरीक्षण कर चुके हैं. 14 अगस्त को भी लिंक लाइन पर ट्रायल किया गया है.

54 किमी की लिंक लाइन पर हैं 15 क्रासिंग

जानकारों की मानें तो इंटरचेंज के लिए दादरी से लेकर खुर्जा तक 54 किमी लम्बी लिंक लाइन बिछाई गई है. लिंक लाइन के रास्ते में करीब 15 रेलवे क्रासिंग बनाई गई हैं. 14 अगस्त को ट्रायल के दौरान डीएफसीसी के कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी तैनात रहे. क्रासिंग के पास ट्रायल वाले इंजन की स्पीड भी कम रखी गई थी. साथ ही ट्रायल के दौरान सभी क्रासिंग पर ट्रैफिक को रोक दिया गया था. लिंक लाइन के रास्ते में दो रेल फ्लाई ओवर बनाए गए हैं. 8 फुट ओवर ब्रिज बनाए गए हैं. इसके साथ ही 4 मेजर ब्रिज भी बनाए गए हैं.

ईस्टर्न-वेस्टर्न कॉरिडोर पर शुरू हो सकती है रोरो सर्विस

डीएफसीसी का ईस्टर्न कॉरिडोर कोलकाता तक तो वेस्टर्न कॉरिडोर मुम्बई तक जाता है. दोनों ही बड़े कारिडोर हैं. दोनों ही रूट पर कई बड़े कारोबारी शहर हैं. अगर ईस्टर्न और वेस्टर्न कॉरिडोर पर सफलतापूर्वक रोरो सर्विस शुरू हो जाती है तो यह प्रदुषण के लिहाज से भी एक बड़ा कदम होगा. रोरो के शुरू होने से सड़कों पर ट्रक और टैंकर्स की संख्या कम हो जाएगी. इससे वायु प्रदुषण भी नहीं फैलेगा. अगर ऐसा होता है तो इससे सबसे बड़ी राहत दिल्ली-एनसीआर को ही मिलेगी.

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