इस वर्ष श्रावणी मेले में कांवरियों को खूब परेशानी हो रही है। खासकर कच्ची पथ पर पैदल चलने वाले कांवरियों को।बिहार सरकार ने पिछले 2 वर्ष कोरोनावायरस मनकाल के बाद इस वर्ष श्रावणी मेला का आयोजन करने की सहमति हुई तो कांवरियों को राहत पहुंचाने के लिए कई विशेष सुविधा प्रदान किया गया।
इस वर्ष श्रावणी मेला में कच्ची कांवरिया पथ पर पहली बार पीले बालू की जगह कांवरियों को राहत पहुंचाने के लिए सफेद बालू बिछवाया दिया।
सरकार का तर्क था कि सफेद गंगा बालू पर कांवरिया नंगे पांव चलेंगे तो उन्हें मखमली एहसास होगा।लेकिन मखमली एहसास की बात छोड़िए कांवरियों के पांव जल रहे हैं।पांव में फफोले हो रहे हैं, तो बालू में चलने पर पांव पीछे खींच रहा है ।मिनटों का सफर घंटों में तय हो रहा है। थोड़ी दूर चलने पर ही थकावट होने लगती है पैरों में खिंचाव होने लगता है। ऐसे में सफेद बालू कावड़ियों के लिए जी का जंजाल बन गया है।
छत्तीसगढ़ से लगातार 16 वर्ष कांवर यात्रा करने वाले सोनू छाबड़ा का कहना था कि सरकार ने कच्ची बालू बिछा तो दिया लेकिन इसकी लेयर इतनी मोटी है कि थोड़ी धूप के बाद ही बालू गर्म हो जाता है और चलने में पांव जलने लगता है।
ज्यादा देर तक अगर गर्म बालू पर चलेंगे तो पांव में फफोले भी पर सकते हैं।जिससे आगे की यात्रा बड़ी दुर्गम हो जाएगी।यह बालू अगर गिला रहता तो थोड़ी राहत मिलती। लेकिन बालू गिला नहीं है ।कुछ जगह बालू पर पानी दिया गया है ।लेकिन अधिकांश स्थानों पर बालू गर्म है।
गुजरात के कन्हैया पटेल कहते हैं पिछले 10 वर्षो से वह कावड़ यात्रा में शामिल हो रहे हैं। बालू हम लोगों को परेशान कर रहा है।पैर आगे की जगह पीछे खींच रहा है।जल्दी थक जा रहे हैं।अब हम लोग बस पकड़ लेंगे पैदल नहीं जा पाएंगे।1 दिन में 40 किलोमीटर चलते थे लेकिन अब 1 दिन में 30 किलोमीटर ही चल पा रहे है। तारापुर एसडीएम ने कहा कि कांवरिया पथ पर बिछे बालू पर लगातार ट्रैक्टर में लगे टँकी से पानी गिराया जा रहा है।
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