सीवान : जिले में 14 दिवसीय फैलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत सिवान के डीएम अमित कुमार पाण्डेय ने अपने सभाकक्ष में फाइलेरिया रोधी दवा डीईसी और एल्बेंडाजोल की गोली ख़ाकर की। इस दौरान सिविल सर्जन ने सभाकक्ष में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को दवा खिलायी।
इसके बाद कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूद ज़िले के विभिन्न क्षेत्रों से आये लोगों को भी स्वास्थ्य विभाग, केयर इंडिया व पीसीआई के कर्मियों ने डीईसी और एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई। डीएम ने बताया फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जन-जागरूकता जरूरी है। यह बीमारी लाइलाज है। जागरूकता और सावधानी से ही इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है। इसके लिए एमडीए के दौरान सभी लोगों द्वारा दवा सेवन जरूरी है। फाइलेरिया से बचाव के लिए एमडीए सार्थक सिद्ध होगा।
सिविल सर्जन डॉ यदुवंश कुमार शर्मा ने कहा 14 दिवसीय फाईलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम पूरे जिले में चलाया जाएगा। इसका विधिवत शुभारंभ डीएम ने किया है। कार्यक्रम की सफलता के लिए 1629 टीमें बनायी गयी हैं। ज़िले में 37 लाख 55 हजार 620 लाभार्थियों को डीईसी और एल्बेंडाजोल की गोली खिलाने का लक्ष्य है। इसमें दो सदस्यीय टीम में आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी सेविकाएं घर-घर जाकर लोगों को डीईसी और एल्बेंडाजोल की गोली खिलाएंगी।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम से हाथी पांव, हाइड्रोसील के मरीज़ों की संख्या को कम करने और लोगों को इस बीमारी के लिए जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। इस अभियान का सभी जिलावासियों को लाभ उठाना चाहिए और फाइलेरिया को जड़ से खत्म करने में सहायक होना चाहिए।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एमआर रंजन ने बताया जिले के 20 प्रखंडों के 37 लाख 55 हजार 620 लोगों को दो सदस्यीय टीम द्वारा घर-घर जाकर अपने ही सामने लोगों को डीईसी व एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जानी हैं। इसके लिए 1629 टीम लगाई गई है। जिसमें स्वास्थ्य कर्मी द्वारा 1530 गांवों के लोगों को गोली खिलाई जाएगी। सभी प्रखंडों में डीईसी (100मि.ग्रा.) की गोली और एल्बेंडाजोल की गोलियां उपलब्ध करा दी गई है। टीम के कार्यों का निरीक्षण के लिए सुपरवाइजर को भी नियुक्त किया गया है। हमारे द्वारा इसके शत प्रतिशत सफलता का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली गंभीर संक्रामक बीमारी है जिसे आमतौर पर हाथी पांव भी कहा जाता है। कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है। फाइलेरिया के प्रमुख लक्षण हाथ और पैर या हाइड्रोसिल (अण्डकोष) में सूजन का होना होता है। प्रारंभिक अवस्था में इसकी पुष्टि होने के बाद जरूरी दवा सेवन से इसे रोका जा सकता है। इसके लिए लोगों में जागरूकता की आवश्यकता है।
वैक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी राजेश कुमार और विजय कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कार्यक्रम को घर-घर तक पहुंचाने के लिए सहयोगी संस्थाओं जैसे: डब्लूएचओ, केयर इंडिया और पीसीआई के द्वारा महत्वपूर्ण सहयोग किया जा रहा है। केयर इंडिया के द्वारा ज़िलें के सभी प्रखंडों में फाईलेरिया कार्यक्रम सुपरविजन व मॉनिटरिंग के लिए दो-दो कर्मियों की नियुक्ति की गई है। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर दवा खाने वाले लाभार्थियों के नाखून में किसी तरह का कोई भी निशान नहीं लगाया जाएगा। कार्यक्रम के बाद फाइलेरिया के मरीजों की लिस्ट बनाकर फाइलेरिया, हाइड्रोसिल आदि के मरीजों के ऑपरेशन की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा करवाई जाएगी।
फाइलेरिया से बचाव के लिए डीईसी और एल्बेंडाजोल की खुराक 2 वर्ष से ऊपर आयुवर्ग के लोगों को लेनी है। एल्बेंडाजोल की गोली को चबाकर खानी है। जिसमें 02 से 05 आयुवर्ग के बच्चों को डीईसी की एक गोली, 05 से 14 आयुवर्ग वाले लाभार्थियों को 02 गोली खानी हैं। जबकि इससे ऊपर आयुवर्ग के लोगों को 03 गोली दी जानी है। सबसे खास बात यह हैं कि डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की खुराक सभी लोगों को भ्रमणशील टीम के सामने ही खानी है। यह दवा लोगों को खाना खाने के बाद ही लेनी है। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिला व गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को इस दवा का सेवन नहीं करना है।
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