मुजफ्फरपुर। कालाजार से बचाव के लिए आईआरएस दूसरे राउंड में कोई घर छिड़काव से वंचित न रह जाए, इसके लिए जिला वेक्टर बार्न रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार खुद बाढ़ग्रस्त ईलाकों में जाकर छिड़काव की जांच कर रहे हैं। इसी क्रम में वह शुक्रवार और शनिवार को ब्रांद्रा के बिशुनपुर गांव में थे।
डॉ सतीश ने कहा कि जिले के 388 राजस्व ग्रामों में 91 दल मिलकर छिड़काव का कार्य कर रहे हैं ऐसे में बाढ़ एवं जलजमाव उनके सामने आते हैं। उनमें उत्साह की कमी न हो इसलिए मैं भी जाकर उनके कार्यों का अवलोकन और हिम्मत बढ़ाता रहता हूं। कालाजार मुख्यत: उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होने वाली एक बीमारी है। जलजमाव वाले क्षेत्रों में इसके बालू मक्खी के पनपने की ज्यादा संभावना रहती है।
24 दिन में 40 प्रतिशत आइआरएस का आच्छादन-
डॉ सतीश कुमार ने कहा कि 15 जुलाई को आइआरएस के द्वितीय राउंड की शुरुआत हुई थी। अभी 24 दिनों बाद कुल लक्ष्य का 40 प्रतिशत छिड़काव किया जा चुका है। पिछले वर्ष से इसके छिड़काव के दिन और तकनीक में थोड़ी तब्दीली की गयी है। अब यह 60 दिनों के बदले 66 दिनों की होती है।
वहीं छह फुट की दिवालों के बदले अब पूरे दिवालों पर छिड़काव होता है। छिड़काव के पूर्व आशा लोगों को सूचना दे देती है। छिड़काव के तीन महीनों तक घर में रंगाई या पुताई नहीं की जानी चाहिए। सभी 91 दल कोविड के मानकों के साथ छिड़काव कर रहे हैं। राज्य के पदाधिकारी भी कई बार यहां आ चुके हैं एवं इसकी सतत् मॉनिटरिंग भी करते है।
अभी तक 85 कालाजार के मरीज
डॉ सतीश ने कहा कि अभी तक जिले में कालाजार के कुल 85 मरीज मिले हैं। पारु जो सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र था। उसमें भी कालाजार मरीजों में काफी कमी आयी है। 2018 में विभिन्न प्रखंडों में 457 केस प्राप्त हुए जबकि 2019 में 281, 2020 में 182 एवं 2021 में अभी तक 18 केस मिले है।
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