बिहार में इस बार दीपा’वली छठ और नववर्ष पर पटाखों का कान फोड़ू शोर सुनाई नहीं देगा। राज्य’भर में केवल हरित पटाखे ही बनेंगे और बिकेंगे। पटाखे चलेंगे भी तय समय’सीमा के अंदर। वहीं पटना, गया और मुजफ्फरपुर में किसी भी तरह के पटाखों का प्र’योग नहीं होगा। राज्य सरकार ने यह रोक एक दिसंबर तक लगाई है। ई-कॉमर्स वेबसाइटों के माध्यम से पटाखों की ऑनलाइन बिक्री भी प्रतिबंधित की गई है। सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित प्राधि’करण (एनजीटी) के आदेश के क्रम में ऐसा किया गया है।
लगातार बढ़ते प्रदू’षण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। तमाम शहरों में प्रदूषण के चलते दिन में भी धुंध की सी स्थिति दिखती है। एनजीटी ने इसे गंभीरता से लेते हुए नौ नवंबर को आदेश जारी किया था। कहा था कि बीते साल नवंबर में देश के जिन शहरों में हवा की गुण’वत्ता ठीक नहीं थी, वहां पटाखे ना बनेंगे और ना ही बिकेंगे। इस श्रेणी में बिहार के तीन शहर पटना, गया और मुजफ्फर शामिल हैं। असल में हवा की गुणवत्ता जांच की व्यवस्था भी केवल इन्हीं तीन शहरों में थी। एन’जीटी ने देश के बाकी शहरों में भी प्रदूषण की रोकथाम के लिए कदम उठाने के लिए राज्य सरका’रों से कहा था। राज्य सरकार ने इसका आदेश जारी कर दिया है।
125 डेसीबल से कम आवाज वाले पटाखे ही चलेंगे
पटना, गया, मुजफ्फ’रपुर में एक दिसंबर तक पूरी तरह रोक लगाने के साथ ही पूरे बिहार में 125 डेसीबल से कम आवाज वाले पटाखे ही चल सकेंगे। हरित पटा’खे यानी बहुत कम धुंआ उत्सर्जित करने वाले पटाखों के ही निर्माण और बिक्री की अनुमति राज्य सरकार ने दी है। पटाखों के निर्माण में बेरिय’म के उपयोग को भी वर्जित कर दिया गया है। ज्यादा शोर, वायु प्रदूषण और अपशिष्ट पैदा करने वाली लड़ी वाले प’टाखों के निर्माण पर भी रोक लगा दी गई है।
नए साल पर केवल 35 मिनट होगी आतिश’बाजी
राज्य सरकार ने त्योहारों के अवसर पर आतिशबाजी की समय’सीमा भी तय कर दी है। दीपा’वली और गुरुपर्व पर केवल मान्य पटाखों का उपयोग रात आठ से 10 बजे के बीच किया जा सकता है। वहीं छठ पर सुबह छह से आठ बजे तक ही पटा’खे चलेंगे। क्रिसमस और नववर्ष के मौके पर रात्रि 11.55 बजे से 12.30 बजे यानी सिर्फ 35 मिनट तक ही पटा’खों का उपयोग किया जा सकेगा।
पुलिस को सौंपी गई जिम्’मेदारी
आदेश में सामुदायिक आतिशबाजी को प्रोत्सा’हित करने और इसके लिए जगह चिन्हित कर आमजन को सूचना देने को भी कहा गया है। इन आदेशों का पालन कराने का जिम्मा संबंधित पदाधि’कारियों खासकर पुलिस को सौंपा गया है। थाना प्रभा’रियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पटाखों का उपयोग केवल तय स्थान और समय’सीमा में ही हो। ऐसा न करने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट की अवजाएगा मानना का मामला माना जाएगा।
Be First to Comment