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2 लाख में आईपीएस वाली कहानी निकली झूठी, जांच में वर्दी की तरह मिथिलेश मांझी की बातें भी फर्जी

जमुई : बिहार के जमुई जिले में आईपीएस की वर्दी पहन कर लोगों की आंखों में धूल झोंकने वाला फर्जी एसपी मिथिलेश मांझी असली पुलिस वालों को भी चकमा देने में कामयाब हो गया। तेज तर्रार पुलिस अफसर भी उसकी मासूमियत भरी और चिकनी-चूपड़ी बातों में आ गए। मिथिलेश ने जो भी बातें पूर्व में पुलिस को बताई थीं, वो सभी जांच में झूठी निकलीं। उसका दो लाख रुपये में आईपीएस बनाने वाली कहानी भी महज एक झूठ थी। दूसरी ओर, फर्जी आईपीएस बनकर चर्चा में आया मिथिलेश अब सोशल मीडिया पर स्टार बन गया है। यूट्यूब पर उसके नाम से भोजपुरी एवं मगही गानें भी बन गए हैं।

bihar fake ips uniform mithilesh manjhi becomes hero bhojpuri industry made  several songs - भोजपुरी गानों में ट्रेंड कर रहा फर्जी IPS मिथिलेश मांझी |  Jansatta

बता दें कि हलसी थाना क्षेत्र के गोवर्धनबीघा गांव निवासी भगलू मांझी का 18 वर्षीय पुत्र मिथिलेश मांझी बीते 20 सितंबर को सिकंदरा- जमुई रोड स्थित बंधन बैंक के समीप आईपीएस अधिकारी की वर्दी पहन कर घूम रहा था। इस दौरान उसने होलिस्टर में रिवाल्वर भी टांग रखी थी। हालांकि इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस उसे हिरासत में लेकर थाने ले आई।

थाने में चेकिंग के दौरान उसकी रिवाल्वर नकली पाई गई। पुलिस पूछताछ में मिथिलेश मांझी ने बताया कि खैरा के किसी मनोज सिंह नाम के शख्स ने उसके साथ ठगी की। कुछ माह पहले उसकी मुलाकात मनोज से हुई थी। उसने ही मिथिलेश को 2.30 लाख रुपये में पुलिस पदाधिकारी बना देने का प्रलोभन दिया था। जिसके बाद मनोज सिंह ने दो लाख रुपया लेकर 20 सितंबर की सुबह खैरा स्थित एक स्कूल में उसे ये वर्दी पहनायी थी। मिथिलेश ने पुलिस को बताया था कि उसने अपने मामा से दो लाख रुपया लेकर मनोज सिंह को दिया था। इस दौरान उसने मनोज सिंह का मोबाइल नंबर भी पुलिस को दिया था। पुलिस ने मिथिलेश मांझी को भोला-भाला युवक समझ कर थाने से रिहा कर दिया।

थाने से रिहा होने के बाद मिथिलेश मांझी अचानक सोशल मीडिया पर छा गया। सैकड़ों यूट्यूबर उसके घर पहुंचने लगे। मिथिलेश के कारनामों से जब बिहार की बदनामी होने लगी तो पुलिस पदाधिकारियों भी हरकत में आए। पुलिस ने जब मिथिलेश द्वारा बताई गई जानकारी की पुष्टि करना शुरू किया तो सारे दावे झूठ साबित होने लगे।

मिथिलेश मांझी ने मनोज सिंह को देने के लिए अपने मामा से दो लाख रुपया लेने की बात बताई थी। मगर उसके मामा ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया। मामा ने बताया कि उसने एक बार मिथिलेश की मां के इलाज के लिए 60 हजार, घर बनाने लिए 45 हजार और शादी के समय 50 हजार रुपये दिए थे। मगर नौकरी लगने के नाम पर उसे कभी पैसा नहीं दिया। इसके बाद पुलिस ने खैरा के आसपास रहने वाले मनोज सिंह नाम के कई लोगों को थाने बुलाया और मिथिलेश से पहचान करवाई। मगर वह किसी भी आदमी को पहचान नहीं पाया। इतना ही नहीं मिथिलेश ने जिस कथित मनोज सिंह का मोबाइल नंबर पुलिस को दिया था. वो भी कई महीनों से बंद पाया गया। यह नंबर भी मिथिलेश के स्वजातीय व्यक्ति के नाम से दर्ज पाया गया।

जांच के दौरान पुलिस ने जब मिथिलेश के मोबाइल की लोकेशन ट्रेस की तो पता चला कि वह 20 सितंबर की सुबह लखीसराय में था। जहां उसने खुद ही एक दुकान से जूते खरीदे थे। जबकि वो पुलिस के सामने 20 सितंबर की सुबह खैरा स्थित एक स्कूल में मनोज सिंह द्वारा आईपीएस की वर्दी दिए जाने की बात कर पुलिस को गुमराह करता रहा। इस संबंध में थानाध्यक्ष मिंटु कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस की जांच में फर्जी आईपीएस अधिकारी मिथिलेश मांझी द्वारा पुलिस को दी गई जानकारी का सत्यापन किया जा रहा है। पुलिस सत्यापन में उसके द्वारा बतायी बातें निराधार साबित हुई हैं।

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