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ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका; नीतीश सरकार को राहत

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जातीय गणना मामले में ट्रांसजेंडरों की अर्जी को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं है, याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडरों को सरकार द्वारा अलग से लाभ दिया जा सकता है, लेकिन अलग जाति नहीं बताया जा सकता है।

do transgender guys get a period know these facts transgender ko bhi aate  hai period | Transgenders period : क्‍या ट्रांसजेंडर को भी होते हैं  पीरियड्स?, जानिए क्‍या है सच | Hindi News, Sehat

गौरतलब है कि बिहार में जातीय गणना में ट्रांसजेंडरों को जाति की सूची में शामिल करने की मांग को लेकर सु्प्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसजेंडरों की याचिका खारिज होने को नीतीश सरकार के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है। इससे कोर्ट ने नीतीश सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर को जाति नहीं मानने को सही ठहरा दिया है।

ट्रांसजेंडरों की मांग थी कि उन्हें अलग जाति में शामिल किया जाए, लेकिन सु्प्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई से इनकार कर दिया। इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने भी सुनवाई करने से मना करते हुए कहा था कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं, बल्कि समूह है। बता दें कि बिहार में जातीय गणना के आंकड़े 2 अक्टूबर को जारी किए गए थे। इस रिपोर्ट में बिहार में ट्रांसजेंडरों की संख्या 825 बतायी गई थी, जिसे कॉलम 22 में रखा गया था।

इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 0.0006 प्रतिशत की ट्रांसजेंडरों की आबादी है। इसी रिपोर्ट पर ट्रांसजेंडरों ने विरोध जताते हुए कहा कि आंकड़ों में अनियमितता की गई है। इसको लेकर ट्रांसजेंडरों की ओर से पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। पटना हाईकोर्ट ने अलग जाति मानने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

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