सीतामढ़ी: आज 23 मई को वेक्टर बॉर्न रोगों की संख्या करीब 19 के पार है, पर इसमें जो रोग हमारे जिले को प्रभावित करता है उसमें, एईएस, जेई, कालाजार, फाइलेरिया, मलेरिया और डेंगू प्रमुख है। एईएस को छोड़कर सभी बीमारियों में उभयनिष्ठ बात है इनका किसी परजीवी के माध्यम से होना। इसलिए इसे वेक्टर जनित रोग भी कहा जाता है। ये बातें जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव ने जीएनएम प्रशिक्षण महाविद्यालय में आशा फैसिलिटेटर को कही।
इस प्रशिक्षण सह उन्मुखीकरण कार्यशाला में करीब 150 आशा फैसिलिटेटरों ने भाग लिया था। डॉ यादव ने चमकी के बारे में बताते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि धूप खत्म होने से चमकी के केस नहीं आएगें। चमकी उमस के कारण पैदा हुई गर्मी से भी हो सकता हे। अगर कुछ खास महीने न सचेत रहकर हमें पूरे वर्ष चमकी को लेकर सचेत करना है। इस वर्ष अभी तक जिले में तीन चमकी के मामले हुए हैं, तीनों स्वस्थ भी है।
वहीं कालाजार के बारे में बताते हुए डॉ यादव ने कहा कि कालाजार से जिला 2018 में ही मुक्त हो चुका है, अब इस स्थिति को बनाए रखने के लिए हमें प्रयत्न करते रहना होगा। अभी जिले में आईआरएस चक्र चल रहा है जिसमें लक्ष्य के मुताबिक चलते हुए 60 से 70 प्रतिशत लोगों के घरों में सिंथेटिक पॉयरेथॉयराइड का छिड़काव हो चुका है। इस वर्ष कालाजार के सिर्फ दो मरीज चिन्हित हुए हैं।
डॉ यादव ने दो बैच में आशा फैसिलिटेटर को वेक्टर बॉर्न के विभिन्न रोगों के कारक और उसके उपाय के बारे में विस्तार से बताया। वहीं मौके पर मौजूद डीसीएम समरेन्द्र नारायण वर्मा ने सभी आशा फैसिलिटेटर को वेक्टर बॉर्न रोगों की खोज और जागरूकता में अपनी महती भूमिका निभाने को कहा। मौके पर जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव, डीसीएम समरेन्द्र नारायण यादव सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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