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ट्रेन में यात्रियों के गले से सोने की चेन का’टने वाले 8 बद’माश गिर’फ्तार, साड़ी बेचने की आड़ में करते थे वा’रदात

पटना: रेलवे पुलिस ने ट्रेनों में महिला यात्रियों की सोने की चेन का’टने वाले गि’रोह के आठ कुख्यात सदस्यों को गया से गिर’फ्तार किया है। आ’रोपी साड़ी बेचने की आड़ में ट्रेनों में घूमते रहते थे। मौका मिलते ही वे क’टर से यात्रियों की चेन का’ट फ’रार हो जाते थे। सभी आरो’पी पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिला के अलग-अलग गांव के रहने वाले हैं। वे पटना, जहानाबाद, बंकाघाट, गुलजारबाग, डिहरी व कोडरमा स्टेशन पर सक्रिय थे। आरो’पियों के पास से पुलिस ने छह सोने की चेन, छह मोबाइल फोन, एक चेन कटर और 1930 रुपये नकद बरामद किए हैं।

8 arrested for stealing passengers gold chains in train in name of selling  sarees - ट्रेन में यात्रियों के गले से सोने की चेन काटने वाले 8 बदमाश  गिरफ्तार, साड़ी बेचने की

रेलवे एसपी अमृतेन्दु शेखर ठाकुर ने बताया कि आठ मई को गया स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक पर आसनसोल वाराणसी इंटर सिटी एक्सप्रेस आकर रुकी थी। ब’दमाशों ने इस ट्रेन पर चढ़ने के दौरान एक महिला की सोने की चेन उड़ा ली थी। घट’ना की जानकारी के बाद रेल अंचल गया के इंस्पेक्टर सुशील कुमार की टीम ने स्टेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरे से पहचान के बाद आशीष दत्ता नाम के एक बद’माश को दबोच लिया। तलाशी में उसके पास से सोने की एक चेन और चेन का’टने का एक क’टर बरामद हुआ।

पूछताछ में आरो’पी ने बताया कि उनका 8 लोगों का गि’रोह है। बाद में उसकी निशानदेही पर अतिथि गया होटल में ठहरे अन्य सात बद’माशों को भी दबोच लिया गया। गिरो’ह का मुखिया तारक चंद मांझी है। गिर’फ्तार बदमा’शों की पहचान जाकिब शेख, रेबिबुल सरदार, सलाउद्दीन सरदार, आनंद खाटुआ, पाल मंडल और एनुल गायन के रूप में हुई।

एक महीने से था सक्रिय
गि’रोह गत एक महीने से सक्रिय था। फिलहाल पुलिस को आरो’पियों के एक दर्जन मामले में संलिप्तता का पता चला है। उनके आप’राधिक रिकॉर्ड और अन्य मामले में उनकी भूमिका का पता लगाया जा रहा है।  तारक चंद गिरो’ह के सदस्यों को गांव से 700 रुपये की दिहाड़ी पर लाता था। बद’माश साड़ी विक्रेता के रूप में 3-3 की संख्या में रेलवे परिसर व ट्रेनों में घूमते थे। भीड़भाड़ में कट’र से महिला यात्री की चेन काट लेते थे। चेन टूथपेस्ट की ट्यूब में छुपा देते थे ताकि किसी को सबूत नहीं मिले। एक स्टेशन पर तीन-चार दिनों में आधा दर्जन वार’दात करने के बाद दूसरे शहर में चले जाते थे।

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