मुजफ्फरपुर जिले में बिहार शोध संवाद द्वारा मुक्तिधाम, सिकंदरपुर में नदी मुक्ति अभियान को लेकर नदियों की पंचायत बुलाई गई। जहां अध्यक्ष अनिल प्रकाश ने बताया कि बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक, लखनदेई, अधवारा समूह की नदियों, करेह, नून आदि नदियां अपनी जालनुमा उपस्थिति से जन जीवन को सदियों से सुखमय बनाती रही हैं।
लेकिन विकास के नाम पर बन रहे तटबंधों, बराजों, फैक्ट्रियों, मिलों और थर्मलपावर स्टेशनों से बह रहे जहरीले, काले, पीले कचरे के कारण जीवनदायी नदियों का दम घुट रहा है। वहीं नदियों के भरोसे जीने वाले नाविक, मल्लाह, किसान, सब्जी उगाने वाले, भैंस-बैल पालकर सुख से जीवन जीने वाले करोड़ों स्त्री पुरुषों की आजीविका और सांस्कृतिक जीवन गंभीर संकट में है। यह नदी पंचायत नदी मुक्ति आभियान की शुरुआत करेगी।
अब तो गंगा एवं उससे जुड़ी तमाम नदियों को बड़ी बड़ी देशी विदेशी कम्पनियों के हाथ में सौंपने की शुरुआत हो चुकी है। सोंस को बचाने के नाम पर मल्लाहों को नदियों से खदेड़ने की चाल चली जा रही है। नदियों के किनारे के सौंदर्गीकरण के बहाने किसानों की बेशकीमती जमीनों पर भी लुटेरी कम्पनियों की बुरी नजर है।
मौके पर प्रो विजय कुमार जायसवाल, राम बाबू, राजेन्द्र पटेल, डॉ हरेन्द्र कुमार, चन्देश्वर राम, आनन्द पटेल, काले खान, संगीता सुभाषिणी, शाहिद कमाल, बैजू रजक, नीरज, राकेश साहू, टी. पी. सिंह, राम लखेंद्र यादव, डॉक्टर उमेश चन्द्र, ठाकुर देवेंद्र सिंह, जितेंद्र यादव, नवल सिंह, जगन्नाथ पासवान, मोनाज़िर हसन, अनिल गुप्ता, जयचंद्र कुमार, प्रीति कुमारी, संतोष सारंग, डॉ हेमनारायण विश्वकर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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