समाजवादी नेता रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को तोड़कर उनके बेटे चिराग पासवान को कुछ साल परेशान और सत्ता से दूर रखने वाले उनके भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस खुद किनारे लग गए हैं। पारस ने अपने सोशल मीडिया से एक बार फिर ‘मोदी का परिवार’ हटा दिया है। कुछ समय से बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठकों में पारस या उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) को बुलाना बंद कर दिया गया है। सोमवार को पटना में एनडीए के नेताओं ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया जिसमें पांच पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष शामिल हुए। इसमें रालोजपा का कोई नेता नहीं बुलाया गया, जिससे अब ये साफ हो चला है कि पारस और रालोजपा की एनडीए से छुट्टी हो चुकी है। बस इसके ऐलान की खानापूर्ति कौन करेगा, ये देखना बाकी है।
लोकसभा चुनाव में एनडीए के बैनर तले मिली पांच सीट जीतकर चिराग पासवान ने जो धमाकेदार वापसी की, उसके बाद पशुपति पारस के सारे भ्रम धीरे-धीरे टूटे। रामविलास पासवान के जमाने से पटना में लोजपा का दफ्तर रहा बंगला पार्टी में टूट के बाद से पारस के कब्जे में था। सरकार ने वो दफ्तर खाली करवाकर चिराग की पार्टी को दे दिया। इसके पहले भी जब मुख्यमंत्री आवास पर 28 अक्टूबर को एनडीए नेताओं की बैठक बुलाई तो रालोजपा को नहीं बुलाया गया। उपचुनाव में चार सीट पर जीत के बाद जब एनडीए के नेता नीतीश से मिलने गए तो उसमें भी पारस की पार्टी से कोई नहीं था।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कुछ दिन पहले कहा था कि पशुपति पारस एनडीए में हैं कहां जो वो छोड़ने की बात कर रहे हैं। याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव के पहले टिकट बंटवारा में पारस की पार्टी को जब एक भी सीट नहीं मिली थी तो पारस ने सोशल मीडिया से ‘मोदी का परिवार’ डिलीट कर दिया था। बाद में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने उन्हें मना लिया तो फिर उन्होंने ‘मोदी का परिवार’ जोड़ लिया था। अब एक बार फिर उनके सोशल मीडिया से ‘मोदी का परिवार’ गायब है। कुछ दिन पहले रालोजपा की बैठक में पार्टी के नेताओं ने 243 सीट पर तैयारी की बात करके यह संकेत दे दिया था कि भाजपा और एनडीए से उनके संबंध अब बदल चुके हैं।
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