पटना : बिहार विधानसभा में आरक्षण का मुद्दा उठा। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर मोर्चा संभाला। आरक्षम को लेकर बहस इतनी तीखी हो गई कि विपक्ष के नेता इस मुद्दे पर सदन से वॉकआउट कर गए। बाहर पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी यादव ने कहा कि सब संगत का असर है। हम लोग उन्हें ठीक करते हों तो वापस वैसे ही हो जाते हैं। इस मुद्दे पर विधानसभा में तेजस्वी यादव ने कहा कि जब हम साथ में सरकार में थे तब हमने जातीय आधारित गणना कराई थी। यह जातीय आधारित गणना इसलिए कराई गई थी क्योंकि राज्य सरकार जनगणना नहीं करा सकती है। इसलिए हमने सर्वे कराया था। उस सर्वे के आधार पर हम लोगों ने आरक्षण की सीमा 65 फीसदी करने का काम किया था। इसमें पिछड़े, अति पिछड़े और दलित और आदिवासी समाज के लोग शामिल थे। इसके अलावा EWS 10 प्रतिशत को उसी तरह रखा गया।
तेजस्वी यादव ने इसके बाद विधानसभा में कहा कि आज संविधान दिवस के मौके पर सरकार से अपेक्षा है कि सरकार यह बताए कि सरकार इसे फिर से लाने के लिए क्या कर रही है? नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि 9-11-2023 में मेरे जन्मदिन के अवसर पर यह पारित हुआ था। 20-06-2024 को इसको हाईकोर्ट ने मना कर दिया था और कहा था कि इसका पूरी स्टडी नहीं की गई थी और इसे निरस्त कर दिया गया। तेजस्वी ने आगे कहा कि संदेह सीएम को या हमको पहले से था कि भाजपा के लोग किसी ना किसी तरह से कोर्ट जाकर इसको निरस्त कराएंगे।
विजय कुमार चौधरी ने कहा कि न्यायालय ने निरस्त करते हुए यह भी निर्देश दिया है कि बहालियां किसी हालत में नहीं रुकेंगी। न्यायालय ने साफ कहा है कि बहालियां पुराने आरक्षण व्यवस्था के तहत जारी रहेंगी। जब सभी दलों का सभी नेताओं का विचार एक ही जगह हो तो इसमें अनावश्यक राजनीति की जरुरत नहीं है।
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