पटना: बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया गया। बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री विजय चौधरी और नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा के बीच शायराना तीर भी चले। वित्त मंत्री ने उर्दू शायरी पढ़कर अपना बजट भाषण खत्म किया। तभी बीजेपी नेता विजय सिन्हा ने देसी भाषा में शायरी पढ़कर उनपर तंज कस दिया। इस बीच पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा।
वित्त मंत्री विजय चौधरी ने विधानसभा में शायराना अंदाज में अपना बजट भाषण खत्म किया। उन्होंने कहा, “जब वलवला सादिक होता है, अज्म मुसम्मं होता है, तकमील का सामां फिर उस वक्त गैब से फराहम होता है।” यानी कि जब ईरादा पक्का और कोशिश ईमानदार हो तो सफलता जरूर आपके कदम चूमती है। इस शायरी पर सत्ता पक्ष के विधायक वाहवाह करने लगे।
तभी विपक्ष के पाले में बैठे नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा अपनी सीट पर उठकर खड़े हो गए। उन्होंने जेब से पर्ची निकाली और स्पीकर से उसे पढ़ने की अनुमति मांगी। स्पीकर ने उन्हें पढ़ने की इजाजत दे दी। तब विजय सिन्हा उस पर लिखी शायरी पढ़ने लगे। उन्होंने कहा, “मिथिला की मिठास सूंघने के लिए सदन लालायित रहता है, मिथिला का मिठास निकल नहीं पाता है, खजाना लूटा गइल, विकास गड़बड़ा गइल, सरकार लटपटा गइल, क्रिमिनल लहलहा गइल, बूझैती की बजट गड़बड़ा गइल।” इसके बाद सदन में खूब ठहाके लगने लगे।
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