दो साल पहले जिस गांव में 60 से 70 परिवार हंसी खुशी जीवन यापन करते थे। आज उस गांव में मगरमच्छों के आतंक से ग्रामीण पलायन करने लगे हैं।
हम बात कर रहे हैं बगहा के पिपरासी प्रखंड के परसौनी गांव की। गांव के निकट करीब 20 मीटर लंबा नाला है। नाले में पांच साल पहले गंडक नदी से कुछ मगरमच्छों का कुनबा आकर बस गया। धीरे धीरे समय बीतता गया और इनका एक बहुत बड़ा परिवार बन गया है।
यहां रहने वाले मगरमच्छ अब भोजन की तलाश में रियासी इलाको में डेरा डालने लगे हैं। आलम ये है कि ये मगरमच्छ कभी ग्रामीणों के बिस्तर के नीचे तो कभी किचन में आ जा रहे हैं।
अब इन मगरमच्छों के आतंक से उन परिवारों के सभी तरह के काम बांधित हो गए हैं। ग्रामीणों की खेती तो बच्चो की शिक्षा भी बंद हो गयी है। मगरमच्छों के आतंक की पीड़ा स्थानीय प्रशासन से वन विभाग तक को बतायी गयी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी है।
ग्रामीणों के अनुसार, कुछ दिन पहले अपने भोजन की तलाश में इन मगरमच्छों ने खेतों में काम करने गए किसानो पर जानलेवा हमला कर दिया था। शाम होते ही इनका आतंक अपने चरम पर होता है। अक्सर शाम ढ़लते ही इनका जत्था मुख्य मार्गों पर आ जाता है। इस कारण घंटों रास्ता बंद हो जाता है। अब लाचार हुए ये परिवार कुछ यूपी में पलायन कर चुके हैं।
कुछ महीने पहले 20 मीटर नाला में अपना आशियाना बनाये मगरमच्छों के 24 अंडे मिले थे। यह वन विभाग के लिए खुशी की खबर थी। लेकिन ग्रामीणों की मुसीबत खड़ी करने वाली। ये मगरमच्छ अक्सर अपने अंडे की तलाश में पिपरा पिपरासी तटबंध पर होल कर देते हैं, जो सिचाई विभाग के लिए खतरे की घंटी है। कई बार सिचाई विभाग की रात्रि गस्ती में तटबंध पर मगरमच्छ रास्ते पर ही मिल जाते हैं। इस कारण घंटों रुक कर रास्ता खाली होने का इंतजार करना पड़ता है।
Be First to Comment